आज के इस युग में किसी भी परिवार में महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों में से दहेज़ न देने पर किसी महिला की हत्या भी एक तरह की हिंसा है। भारतीय कानून में दहेज़ के लिए की जाने वाली हिंसा को भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 498-A, में आपराधिक गुनाह माना गया है, और इस अपराध के लिए सजा का प्रावधान भी दिया गया है। इस धारा को आम ज़बान में ‘दहेज के लिए प्रताड़ना’ के नाम से भी जाना जाता है।
धारा 498-A, को भारतीय दंड संहिता में वर्ष 1983, में विवाहित महिलाओं को पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के वर्ताव किए जाने और डराने या धमकाने से बचाने के लिए पेश किया गया था। इस धारा के अनुसार दोषी पाये जाने पर पति या महिला के रिश्तेदारों को अधिकतम तीन साल की सज़ा व उचित जुर्माना का प्रावधान भी है। “क्रूरता” के विचार को बहुत ही व्यापक रूप से परिभाषित किया जा सकता है, जिसमे बहुत सी बातें शामिल हो सकती हैं, जैसे किसी भी महिला के शरीर या स्वास्थ्य को शारीरिक या मानसिक क्षति पहुंचाना, किसी महिला के शारीरिक या मानसिक उत्पीड़न के कृत्यों में लिप्त होना, किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी महिला की किसी बात या किसी रहस्य के लिए उसे ब्लकमैल करना, या किसी महिला की किसी भी मांग को पूरा करने के लिए उसके साथ गैर क़ानूनी संबंधों को बनाना या उस महिला का शोषण करना आदि। दहेज के लिए किसी महिला का उत्पीड़न करना भी क्रूरता का ही एक भाग है। किसी महिला को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने वाली स्थिति बनाना भी “क्रूरता” के अवयवों में से एक होता है।