ग्रीष्मकल में सब्जी की फसलों पर कीटों का प्रकोप, किसानों के लिए बढ़ी चुनौती
अमिहित, जौनपुर – गर्मी के मौसम में किसान सब्जी की फसल की देखभाल को लेकर दोहरी समस्या से जूझ रहे हैं। एक ओर पानी की कमी फसलों के लिए संकट खड़ा कर रही है, तो दूसरी ओर कीट-पतंगों के बढ़ते प्रकोप से फसल की पैदावार प्रभावित हो रही है। जानकारी के अभाव में किसान सही समय पर कीटनाशकों का उपयोग नहीं कर पाते, जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।
समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र, अमिहित, जौनपुर-II के विषय वस्तु विशेषज्ञ (पादप सुरक्षा) डॉ. गजेंद्र सिंह ने कद्दू की फसल में कीट प्रबंधन को लेकर आवश्यक सुझाव दिए हैं। उन्होंने बताया कि यदि सही समय पर समेकित कीट प्रबंधन (IPM) तकनीकों को अपनाया जाए, तो फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है और उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकती है।
उन्होंने बताया कि कद्दू की फसल में कीटों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, समेकित कीट प्रबंधन (आई.पी.एम.) तकनीक अपनाकर फसलों को सुरक्षित रखा जा सकता है। इससे उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी और कीटनाशकों के अधिक प्रयोग से होने वाले दुष्प्रभाव को कम किया जा सकेगा।
लाल कद्दू भृंग से फसलों को बचाने की जरूरत
लाल कद्दू भृंग की ग्रब और वयस्क अवस्था दोनों ही फसल को नुकसान पहुंचाती हैं। यह कीट अंडे से निकलने के बाद कोमल फलों में छेद कर अंदर प्रवेश कर जाता है, जिससे पौधे खराब हो जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए राख की धूल के साथ मैलाथियान का छिड़काव करने की सलाह दी गई है। इसके अलावा, समय से बुवाई करने के समय से भी कीट के प्रकोप को कम किया जा सकता है।
सफेद मक्खी से फसलों को कैसे बचाएं?
सफेद मक्खी प्रौढ़ और शिशु अवस्था में पत्तियों से रस चूसती है, जिससे पौधे कमजोर हो जाते हैं और उत्पादन प्रभावित होता है। यह कीट विषाणुजनित रोगों को भी फैलाता है, जिससे फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए पीले चिपचिपे ट्रैप स्थापित करें और इमिडाक्लोप्रिड 0.30 मिली/लीटर या डाइमिथोएट 30 ई.सी. का छिड़काव करें। 15-20 दिन के अंतराल पर छिड़काव दोहराने से बेहतर परिणाम मिलते हैं।
बरसात में बढ़ता है फल मक्खी का प्रकोप
बरसात के मौसम में फल मक्खी का हमला अधिक होता है, जिससे फलों का गूदा सड़ने लगता है। इसका लार्वा फलों के अंदर घुसकर उन्हें पूरी तरह खराब कर देता है। फल मक्खी से बचाव के लिए क्यू ल्यूर ट्रैप (15 प्रति एकड़) लगाने की सलाह दी गई है। इसके अलावा, संक्रमित फलों को एकत्र कर नष्ट करने से कीटों के प्रसार को रोका जा सकता है।
समेकित कीट प्रबंधन: स्थायी समाधान
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि केवल रसायनों के प्रयोग से कीटों का प्रभाव पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए जैविक, यांत्रिक और रासायनिक उपायों का संतुलित उपयोग आवश्यक है।
खेत में साफ-सफाई बनाए रखें और संक्रमित पौधों के अवशेषों को तुरंत नष्ट करें।कीटों की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप और प्रकाश ट्रैप का उपयोग करें।
प्राकृतिक शत्रुओं जैसे लेडी बर्ड बीटल और ट्राइकोग्रामा परजीवी ततैया को संरक्षण दें, ताकि ये कीटों को प्राकृतिक रूप से नियंत्रित कर सकें।
कृषि विशेषज्ञों की सलाह
विशेषज्ञों के अनुसार, समेकित कीट प्रबंधन (IPM) तकनीक अपनाकर कद्दू की फसल की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है। जैविक और यांत्रिक उपायों को प्राथमिकता देते हुए कीटनाशकों का विवेकपूर्ण उपयोग किया जाए तो उत्पादन बढ़ाया जा सकता है। किसान इस तकनीक को अपनाकर फसल की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं और आर्थिक नुकसान से बच सकते हैं।
— ब्यूरो रिपोर्ट हीरा मणि गौतम