पृथ्वीराज चौहान के जन्मोत्सव पर गंगापुर से उनके अनुयायियों ने निकाला जुलूस

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मोहम्मदपुर /आजमगढ़ :- पृथ्वीराज चौहान के जन्मोत्सव पर उनके अनुयायियों ने जोश खरोश के साथ जुलूस निकाला जिसमें मिर्जापुर,गंगापुर खिल्लूपुर होते हुए आदि बाजारों में अनुयायियों का जोश खरोश दिखा हरेंद्र चौहान ने कहा कि पृथ्वीराज चौहान हमारे देश के लिए बहुत कुछ किया है जो कि उनकी जीवनी इस प्रकार है

पृथ्वीराज चौहान का जन्म 1149 मे राजस्थान के अजमेर में हुआ था. पृथ्वीराज जी अजमेर के महाराज सोमेश्र्वर और कपूरी देवी की संतान थे. मात्र 11 वर्ष की आयु मे पृथ्वीराज के सिर से पिता का साया उठ गया था, उसके बाद भी उन्होने अपने दायित्व अच्छी तरह से निभाए और लगातार अन्य राजाओ को पराजित कर अपने राज्य का विस्तार करते गए.
पृथ्वीराज को राय पिथोरा भी कहा जाता था. पृथ्वीराज चौहान बचपन से ही एक कुशल योध्दा थे, उन्होने युध्द के अनेक गुण सीखे थे. उन्होने अपने बाल्य काल से ही शब्ध्भेदी बाण विद्या का अभ्यास किया था.
पृथ्वीराज चौहान भारतीय इतिहास के सबसे प्रसिद्ध हिन्दू राजपूत राजाओं में एक थे. उनका राज्य वे बहुत ही साहसी, युद्ध कला में निपुण और अच्छे दिल के राजा थे, उन्हें बचपन ही से ही तीर कमान और तलवारबाजी का शौक था पृथ्वीराज चौहान को कन्नौज के राजा जयचंद की पुत्री संयोगिता पसंद आ गई थी, जिसके बाद उन्हें राज कुमारी संयोगिता से प्रेम हो गया. चन्द्रवरदाई और पृथ्वीराज चौहान दोनों बचपन के मित्र थे और बाद में आगे चलकर चन्द्रवरदाई एक कवि और लेखक बने जिन्होंने हिंदी /अपभ्रंश में एक महाकाव्य पृथ्वीराज रासो लिखा
आपको बता दें, प्रथम युद्ध में सन 1191 में मुस्लिम शासक सुल्तान मुहम्मद शहाबुद्दीन गौरी ने बार बार युद्ध करके पृथ्वीराज चौहान को हराना चाहा पर ऐसा ना हो पाया. पृथ्वीराज चौहान ने 17 बार मुहम्मद गौरी को युद्ध में परास्त किया और दरियादिली दिखाते हुए कई बार माफ भी किया और छोड़ दिया पर अठारहवीं बार मुहम्मद गौरी ने जयचंद की मदद से पृथ्वीराज चौहान को युद्ध में मात दी और बंदी बना कर अपने साथ ले गया. पृथ्वीराज चौहान और चन्द्रवरदाई दोनों ही बन्दी बना लिए गए और सजा के तौर पर पृथ्वीराज की आखें गर्म सलाखों से फोड दी गई.
पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु कैसे हुई?
गौरी के आदेश पर पृथ्वीराज चौहान के मन्त्री प्रतापसिंह ने पृथ्वीराज को ‘इस्लाम्’ धर्म को स्वीकार करने के लिये समझाया| पृथ्वी ने कहा कि मैं गोरी का का वध करना चाहता हूँ” ऐसा पृथ्वीराजः ने प्रतापसिंह को कहा|पृथ्वीराज ने आगे कहा कि, मैं शब्दवेध बाण चलाने को सक्षम हूँ| मेरी उस विद्या का मैं प्रदर्शन करने के लिये सज्ज हूँ|
उस जुलूस में बढ़ चढ़कर भाग लेने वाले हरेंद्र चौहान, सुधाकर चौहान, ज्ञान सिंह, लकी चौहान,आकाश चौहान इत्यादि लोग उपस्थित रहे

महेश कुमार की रिपोर्ट

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