आम तना बेधक कीट
ब्यूरो रिपोर्ट हीरा मणि गौतम
जौनपुर: जिले सहित पूर्वांचल के कई हिस्सों में आम की खेती करने वाले किसान इन दिनों आम तना बेधक कीट से परेशान हैं। यह कीट पेड़ के तने में छेद करके अंदर लार्वा छोड़ता है, जो धीरे-धीरे तने को खोखला कर देता है और अंततः पेड़ सूखने लगता है। कृषि वैज्ञानिकों ने इससे निपटने के लिए समग्र प्रबंधन रणनीति अपनाने की सलाह दी है।
बागवानी विशेषज्ञों के अनुसार, तना बेधक की रोकथाम के चार प्रमुख तरीके हैं:
1. नियमित देखरेख:
बाग को स्वस्थ रखने के लिए संतुलित सिंचाई, खाद प्रबंधन और समय पर छंटाई ज़रूरी है। संक्रमित शाखाओं को तुरंत काटकर जला देना चाहिए। पेड़ों का नियमित निरीक्षण संक्रमण के शुरुआती लक्षणों की पहचान में मदद करता है।
2. यांत्रिक नियंत्रण:
संक्रमित छेद (बोरहोल) में लोहे की पतली तार डालकर लार्वा को नष्ट किया जा सकता है। इसके बाद छेद में केरोसिन या क्लोरोफॉर्म में भिगोया हुआ रुई डालकर मिट्टी या गोबर से बंद कर देना चाहिए।
3. रासायनिक नियंत्रण:
बोरहोल में क्लोरपाइरीफॉस 20 EC (10 मि.ली./लीटर पानी) या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL का इंजेक्शन देना उपयोगी होता है। छेद को प्लास्टर करने से रसायन का प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है। छंटाई के बाद ट्रंक स्प्रे भी अंडों के जमाव को रोक सकता है।
4. जैविक नियंत्रण:
ब्यूवेरिया बेसियाना जैसे जैविक कवक का छिड़काव किया जा सकता है, जो लार्वा को नष्ट करता है। कठफोड़वा जैसे प्राकृतिक शिकारियों को बाग में संरक्षण देना भी लाभकारी है।
कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे नियमित निगरानी करें और प्रारंभिक लक्षण दिखते ही उपयुक्त उपाय अपनाएं। इससे आम के उत्पादन में गिरावट रोकी जा सकती है।