प्रोफेसर,प्रवक्ता एवं शिक्षकों तथा गैर शैक्षणिक कर्मचारी प्रोटान से क्यों जुड़े?????

0
8

 

 

जनपद- मऊ ब्लाक रतनपुरा के ग्राम सभा खरका में ,डां संजय बाबर और रमेश बौद्घ के संरक्षण एंव तत्वावधान मे आज अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यको के लिए अपने कल्याण, अधिकार एवं हितों की रक्षा के लिए प्रोटान शैक्षिक संगठन से जुड़कर संघर्ष करना एक बेहतर विकल्प है।
भारत में उच्च शिक्षा विभाग, माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा विभाग में वर्तमान में बहुत से शैक्षिक संगठन संचालित होते हैं, जिसमें सभी शिक्षकों के साथ अनुसूचित जाति एवं जनजाति, पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के शिक्षक भी पदाधिकारी और सदस्य बनकर पुर्ण तन्मयता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं,यह संगठन शिक्षकों की कामन समस्याओं जैसे पुरानी पेंशन एवं अन्य के समाधान हेतु,संवैधानिक तरीके से आंदोलन,धरना प्रदर्शन और ज्ञापन करते हैं।
लेकिन जब समस्या निरपेक्ष रूप से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के शिक्षकों की होती है,जैसे पुर्व में पदोन्नति में आरक्षण को रोका जाना और वर्तमान में बैक लाग भर्ती,आरक्षण में घोटाला,मण्डल कमीशन,200 प्वाइंट रोस्टर,नाट फाउंड सुब्टेबल की प्रक्रिया एवं कर्मचारियों पर किसी भी प्रकार विभागीय एवं समाजिक रूप उत्पीडन होने की दशा में वही संगठन चुप्पी साध लेते हैं जिनके लिए अपना तन-मन-धन और समय लगाये रहते हैं,इस स्थिति में वह ठगा सा महसुस करते है,भले ही उन संगठनों में इस वर्ग के बहुतायत प्रोफेसर,प्रवक्ता शिक्षक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारी उनके सदस्य के रूप में सक्रिय भूमिका निभा रहे हो।
और उनकी समस्या जस का तस बना रहता है,और आंदोलन के अभाव में उनके कई अधिकार समाप्त हो चुके हैं।
और वह इन्हें बचाने के लिए संघर्ष इसलिए नहीं कर पाते हैं-क्यों कि उनके पास राष्ट्रीय स्तर पर उनके विचारों का समर्थक कोई शैक्षिक संगठन का नहीं होना।
ऐसे में प्रोफेसर टीचर एंड नान टीचिंग इम्प्लाइज आर्गेनाइजेशन (प्रोटान) एक राष्ट्रीय स्तर का शैक्षिक संगठन होने के साथ, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के प्रोफेसर,प्रवक्ता एवं शिक्षकों के अधिकार एवं हितों के लिए संघर्ष करता है,
अतः आप सभी सम्मानित प्रोफेसर, प्रवक्ता अध्यापकों को प्रोटान से जुड़कर,अपने समस्या के समाधान हेतु अपने हक-अधिकार एवं हितों की रक्षा के लिए एकता के साथ शिक्षा विभाग से जुड़े समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष करना चाहिए।,,,, भवदीय
प्रोफेसर टीचर एण्ड नाॅन टीचिंग इम्प्लाईज आर्गेनाइजेशन (प्रोटान) जनपद -बलिया के,,,केमास न्यूज ब्यूरोचीफ मऊ धर्मेन्द्र कुमार की रिपोर्ट

में ,डां संजय बाबर और रमेश बौद्घ के संरक्षण एंव तत्वावधान मे आज अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यको के लिए अपने कल्याण, अधिकार एवं हितों की रक्षा के लिए प्रोटान शैक्षिक संगठन से जुड़कर संघर्ष करना एक बेहतर विकल्प है।
भारत में उच्च शिक्षा विभाग, माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा विभाग में वर्तमान में बहुत से शैक्षिक संगठन संचालित होते हैं, जिसमें सभी शिक्षकों के साथ अनुसूचित जाति एवं जनजाति, पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के शिक्षक भी पदाधिकारी और सदस्य बनकर पुर्ण तन्मयता के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन करते हैं,यह संगठन शिक्षकों की कामन समस्याओं जैसे पुरानी पेंशन एवं अन्य के समाधान हेतु,संवैधानिक तरीके से आंदोलन,धरना प्रदर्शन और ज्ञापन करते हैं।
लेकिन जब समस्या निरपेक्ष रूप से अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के शिक्षकों की होती है,जैसे पुर्व में पदोन्नति में आरक्षण को रोका जाना और वर्तमान में बैक लाग भर्ती,आरक्षण में घोटाला,मण्डल कमीशन,200 प्वाइंट रोस्टर,नाट फाउंड सुब्टेबल की प्रक्रिया एवं कर्मचारियों पर किसी भी प्रकार विभागीय एवं समाजिक रूप उत्पीडन होने की दशा में वही संगठन चुप्पी साध लेते हैं जिनके लिए अपना तन-मन-धन और समय लगाये रहते हैं,इस स्थिति में वह ठगा सा महसुस करते है,भले ही उन संगठनों में इस वर्ग के बहुतायत प्रोफेसर,प्रवक्ता शिक्षक एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारी उनके सदस्य के रूप में सक्रिय भूमिका निभा रहे हो।
और उनकी समस्या जस का तस बना रहता है,और आंदोलन के अभाव में उनके कई अधिकार समाप्त हो चुके हैं।
और वह इन्हें बचाने के लिए संघर्ष इसलिए नहीं कर पाते हैं-क्यों कि उनके पास राष्ट्रीय स्तर पर उनके विचारों का समर्थक कोई शैक्षिक संगठन का नहीं होना।
ऐसे में प्रोफेसर टीचर एंड नान टीचिंग इम्प्लाइज आर्गेनाइजेशन (प्रोटान) एक राष्ट्रीय स्तर का शैक्षिक संगठन होने के साथ, अनुसूचित जाति एवं जनजाति, पिछड़े वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के प्रोफेसर,प्रवक्ता एवं शिक्षकों के अधिकार एवं हितों के लिए संघर्ष करता है,
अतः आप सभी सम्मानित प्रोफेसर, प्रवक्ता अध्यापकों को प्रोटान से जुड़कर,अपने समस्या के समाधान हेतु अपने हक-अधिकार एवं हितों की रक्षा के लिए एकता के साथ शिक्षा विभाग से जुड़े समस्याओं के समाधान के लिए संघर्ष करना चाहिए।,,,, भवदीय
प्रोफेसर टीचर एण्ड नाॅन टीचिंग इम्प्लाईज आर्गेनाइजेशन (प्रोटान) जनपद -बलिया के,,,केमास न्यूज ब्यूरोचीफ मऊ धर्मेन्द्र कुमार की रिपोर्ट

In

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

16 + 11 =