सुलतानपुर में सांसदी का रास्ता मेनका गांधी के लिए कठिन लग रहा है

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दोस्तपुर/सुलतान पुर। वरुण गांधी का भाजपा ने टिकट काटकर भाजपा ने उन्हें पहले ही साइड लाइन कर रखा है। उनकी मां मेनका संजय गांधी को काफी विचार विमर्श के बाद टिकट दे दिया, लेकिन भाजपाई ही उनकी जीत में ब्रेकर का काम कर रहे है इससे भी बड़ा फैक्टर ये कि आठ बार की सांसद को सुल्तानपुर में निषाद और कुर्मी वोटरों के छटकने का खतरा नजर आ रहा है यही कारण है कि हर महीने संसदीय क्षेत्र में तीन-चार दिन आने का ढिंढोरा पीटने वाली सांसद 24 दिनों से लगातार यहां डेरा डाले हुए हैं। मेनका को ये डर यूं ही नहीं है। कारण स्पष्ट है वर्ष 2014 में वरुण गांधी रहे हों या 2019 में स्वयं वो दोनों की वैतरणी पार निषाद और कुर्मी मतदाताओं ने ही लगाया था लखनऊ से लेकर दिल्ली तक इंडिया गठबंधन के घटक दल सपा-कांग्रेस ने इस पर पूरा मंथन किया। अंत में इस सीट को कांग्रेस ने कभी खाता न खोलने वाली सपा के खाते में दे दिया। सपा ने भी मेनका की दुःखती नब्ज पर हाथ रखा और निषाद बिरादरी का अंबेडकर नगर से प्रत्याशी लाकर उनके मुकाबले पर उतार दिया। प्रत्याशी हल्का पड़ा तो 28वें दिन टिकट बदलकर गोरखपुर में योगी के सामने मैदान में उतर चुके पूर्व मंत्री राम भुआल निषाद को लाकर खड़ा कर दिया। परिणाम ये हुआ दो लाख के ऊपर निषाद मतदाता वरुण गांधी और-मेनका संजय गांधी कोभूलकर सीधे अपना भाई, अपना बेटा कहकर नारे लगाने लगा। इससे परिवार से सांसदी की कुर्सी जाती देखकर मेनका ने एक मई को अपने नामांकन में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद, राज्यमंत्री रामकेश निषाद बुलाया। काफिले में इन मंत्रियों को अगल-बगल रखा लेकिन इस वर्ग पर इसका असर नहीं पड़ा। बसपा ने मेनका के सामने कुर्मी बिरादरी से उदराज वर्मा को टिकट दिया, तो कुर्मी वोट साधने के लिए उन्होंने प्रभारी मंत्री आशीष पटेल का चेहरा दिखाया। पर वो भी जादू नहीं कर सका। हालांकि बड़बोले मंत्री चार लाख से जीत का दावा करके लौट गए।
गौरतलब रहे कि मोदी-योगी लहर में जब भाजपा की समूचे देश के साथ यूपी में बयार बह रही थी तब मेनका गांधी बामुश्किल 14 हजार से जीत सकी थी। उनकी इस जीत में निषाद और कुर्मी बिरादरी का भारी भरकम वोट था। उधर काफी संख्या में मेनका को ब्राह्मण वोटरों ने भी वोट किया। लेकिन डॉ. घनश्याम हत्याकांड के बाद जिस तरह पखावरे भर के बाद वो उनकी पत्नी निशा तिवारी से मिली और गैर जिम्मेदाराना बातें की उससे ब्राह्मण समाज का 25% प्रतिशत वोटर उनसे कटकर अलग हो गया। इसके अतिरिक्त यादव वोटर भी इस दफा मेनका से खासा नाराज है। जिससे 9वीं बार उनके सांसद बनने के रास्ते में कांटे ही कांटे हैं नजर नहीं आ रहे है। के मास न्यूज पत्रकार सत्य प्रकाश दोस्तपुर

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