जाति की प्रयोगशाला में पास होने पर पक्के किए जा रहे प्रत्याशी

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अंबेडकरनगर: लखनऊ में यहां की जनता की नुमाइंदगी करने के लिए नेताओं की काबिलियत, सर्वसमाज के प्रति समर्पण और साफ-सुथरी छवि देखने के बजाय जाति की प्रयोगशाला में पास होने पर उन्हें प्रत्याशी बनाया जा रहा है। यह चलन कमोबेश सभी दलों में साफ दिख रहा है, लेकिन सपा-बसपा जैसी क्षेत्रीय पार्टियों में चरम पर है। इसका सबसे ताजा उदाहरण बुधवार को टांडा विधानसभा क्षेत्र में दिखा, जहां काफी पहले से बसपा से घोषित उम्मीदवार के विरोधी दल के प्रत्याशी के मुकाबले जाति और धर्म के तंग खांचे में फिट न होने पर रातोंरात उन्हें बदल कल तक पार्टी को गाली देने वाले को मैदान में उतार दिया गया।छठे चरण में जिले की पांचों विधानसभा सीटों पर तीन मार्च को होने जा रहे चुनाव के लिए टिकट वितरण में जाति के जोर का आलम यह है कि सपा ने कटेहरी से लंबे समय से संघर्ष कर रहे पूर्व मंत्री शंखलाल मांझी और प्रदेश उपाध्यक्ष जयशंकर पांडेय को दरकिनार कर जाति-बिरादरी का गुणा-भाग लगा पूर्व मंत्री लालजी वर्मा को यहां से मैदान में उतार दिया। इसी तरह अकबरपुर सीट पर राजभरों की अच्छी संख्या देख पूर्व मंत्री रामअचल राजभर और जलालपुर में ब्राह्मणों के निर्णायक स्थिति में होने से यहां से पूर्व सांसद राकेश पांडेय को टिकट पकड़ा दिया। वहीं, दलित बहुल आलापुर सीट से पूर्व सांसद त्रिभुवन दत्त को उम्मीदवार बना दिया। खास बात यह कि उक्त सभी चारों नेता हाल तक धुर विरोधी बसपा के प्रमुख चेहरे थे और सपा को गाली देने का कोई भी मौका नहीं चूकते थे, लेकिन जातीय समीकरण पक्ष में होते ही अपनों को किनारे रख उन्हें चुनाव लड़ने का मौका दे दिया।
टांडा में राममूर्ति के आने से बदली गणित: प्रत्याशियों के नाम का ऐलान करने में सबसे आगे रही बसपा ने महीनों पहले टांडा विधानसभा सीट से मनोज कुमार वर्मा को अपना उम्मीदवार घोषित किया था। पिछली बार भी यहीं से हाथी से चुनाव लड़े मनोज मतदाताओं को सहेजने में रात-दिन एक किए थे, लेकिन अचानक इसी सीट से सपा से राममूर्ति वर्मा की इंट्री होते ही उनका खेल बिगड़ गया। सियासी तराजू पर राममूर्ति के भारी होने के चलते कुर्मी और मुस्लिम बहुल इस सीट से बसपा ने मनोज वर्मा को रातोंरात हटाने का फैसला कर लिया और उनकी जगह कल तक सपा में रहीं किछौछा नगर पंचायत अध्यक्ष शबाना खातून को बुधवार को पार्टी में शामिल कर उनका टिकट पक्का कर दिया। इसके
पीछे की गणित यह कि बसपा का दलित वोट बैंक तो कहीं जाने वाला नहीं, साथ में अल्पसंख्यक वर्ग का प्रत्याशी होने से उन्हें मुस्लिमों का एकमुश्त वोट मिल जाएगा। सपा जिलाध्यक्ष और आलापुर प्रत्याशी का फूंका पुतला: पार्टी और नेता अपना नफा-नुकसान देख भले ही गिरगिट की तरह रंग बदल रहे हैं, लेकिन आमजन को यह कतई हजम नहीं हो रहा है। यही कारण है कि टांडा से राममूर्ति वर्मा के सपा से उम्मीदवार घोषित होते ही जगह-जगह मुस्लिम समुदाय सड़कों पर आ गया और पार्टी का झंडा जलाने के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव मुर्दाबाद के नारे लगने लगे। कटेहरी में भी सपा प्रत्याशी लालजी वर्मा को लेकर यही स्थिति है। उधर, आलापुर में विरोध की चिगारी दिन-ब-दिन तेज होती जा रही है। बुधवार को सपा कार्यकर्ताओं ने बलरामपुर मछली मंडी में यहां से सपा प्रत्याशी पूर्व सांसद त्रिभुवन दत्त का पुतला फूंक किसी दूसरे को टिकट देने की मांग की

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