अंबेडकरनगर/उत्तर प्रदेश सरकार ने छुट्टा पशुओं की समस्या को देखते हुए मुख्यमंत्री निराश्रित गौवंश सहभागिता योजना की शुरुआत की, लेकिन अंबेडकरनगर जिले में यह योजना फ्लॉप साबित हो रही है और अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पा रही है। इस योजना के तहत छुट्टा पशुओं को पालने वाले पशु पालकों को सरकार प्रतिदिन रुपए 30 देती है, यानी कि एक महीने का 900 रुपए देती है। 2,049 पशुओं की सुपुर्दगी का दिया गया था लक्ष्य:
जिले में छुट्टा पशुओं की बढ़ती तादाद को देखते हुए शासन ने जिले में 2,049 पशुओं को सुपुर्दगी का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन वर्तमान समय में यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। जिले में इस समय 733 ग्रामीण और 29 शहरी पशुपालकों ने आवेदन किया था, जिसमें 1,154 पशुओं की सुपुर्दगी की गई थी।
समय से नहीं होता है भुगतान:यूपी सरकार की कैबिनेट ने ‘मुख्यमंत्री निश्रित बेसहारा गोवंश सहभागिता योजना’ को 6 अगस्त 2019 को मंजूरी दी थी। योजना को मंजूरी देते वक्त यह तय हुआ था कि छुट्टा पशुओं को पालने वाले लोगों को हर 3 महीने पर भुगतान किया जाएगा और आगे चलकर हर महीने भुगतान होने लगेगा। हालांकि ऐसा हो नहीं पा रहा है। पशुपालकों का कहना है कि भुगतान में 5 से 6 माह लग जाते हैं।
30 रुपए में नहीं हो पाता चारे का इंतजाम: यूपी सरकार छुट्टा पशुओं को पालने के लिए एक पशु पर प्रतिदिन 30 रुपए के हिसाब से भुगतान करती है। एक व्यक्ति चार गौवंश तक रख सकता है। ऐसे में महीने के रुपए 3,600 उसके खाते में आ सकते हैं। हालांकि ज्यादातर किसान और पशुपालक एक या दो ही गौवंश ले रहे हैं। वजह यह है कि प्रतिदिन रुपए 30 उन्हें कम लग रहा है। जिले के लोरपुर तजन निवासी निर्मला देवी ने कहा, 30 रुपए पर्याप्त नहीं हैं। एक गाय पर करीब रुपए 60 प्रतिदिन खर्च होता है। इसमें खरी, भूसा, चोकर सब शामिल है। ऐसे में किसान अपनी जेब से खर्च कर रहा है।
लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाई योजना, 2,049 के सापेक्ष 1,154 पशुओं को ले गए लोग : गौवंश सहभागिता योजना फ्लॉप
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