मन की शांति और शांति का एक गहरा राज जिसमें इंसान को अपने सुद्धी बुद्धि को पाना या खोना दर्शाता है

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||विचार||

इंसान का सबसे बड़ा दुस्मन अहंकार, घमंड, लालच, चोरी हत्या, पाप, क्रोध, डाह, मतवालापन, लिलाक्रिड़ा, छोटे से झगड़े का परिणाम बहुत घातक होता है।
झगड़े का आरम्भ बाँध के छेद के समान है, झगड़ा बढ़ने से पहले उसको छोड़ देना उचित है।”
नीतिवचन 17:14झगड़े की शुरुआत हमेशा किसी छोटी बात से होती है, और वही छोटी बातें कई बार बड़ी लड़ाइयों का रूप ले लेती हैं। कई बार तो ऐसा भी देखने में आया है कि लोग एक-दूसरे की जान तक ले लेते हैं, छोटी-छोटी बातों पर इतनी ज्यादा नफरत हो जाती है। नतीजतन, झगड़े का परिणाम बहुत घातक हो जाता है। नीतिवचन का लेखक, बुद्धिमान राजा सुलेमान, हमें समझाते हैं कि झगड़े का आरंभ एक बाँध में हुए छोटे से छेद की तरह होता है। यह छोटा सा छेद अगर समय रहते ठीक नहीं किया गया, तो पानी का बहाव बढ़ते-बढ़ते पूरे बाँध को नष्ट कर सकता है। इसी तरह, छोटे-छोटे झगड़ों को अगर शुरूआत में ही नहीं रोका गया, तो वे बड़ी समस्याओं का कारण बन सकते हैं। इसलिए, जहां भी झगड़े की शुरुआत हो रही हो, उसे वहीं पर खत्म कर देना चाहिए। अन्यथा, यह दुश्मनी बढ़ती जाएगी, रिश्ते खराब होंगे और समाज में बड़े-बड़े दंगे हो सकते हैं। हम सभी को यह समझना चाहिए कि शांति और सद्भाव बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है। छोटी-मोटी बातों को नजरअंदाज करना और सहनशीलता दिखाना ही हमें बड़ी समस्याओं से बचा सकता है। जिसमे मनुष्य का सबसे अच्छा दोस्त, प्रेम, दया, क्षमा, धीरजवंत, सहनशील ऐ ही है इंसान के आत्मिक शान्ति के गुरु,,, ब्यूरो म ऊ धर्मेन्द्र कुमार

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