सेठुआपारा में भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा — कागज़ों में विकास, जमीनी हकीकत में भारी लूट-खसोट!”

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शौचालय में बिछा गद्दा! व्यवस्था की पोल खोलती तस्वीर     सामुदायिक शौचालय सेठुआपारा की तस्वीर 

 

रिपोर्ट: के. मास न्यूज नेटवर्क 

 शाहगंज तहसील के विकास खंड शाहगंज सोंधी अंतर्गत सेठुआपारा गांव में सरकारी योजनाओं के नाम पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। कागज़ों में सामुदायिक शौचालय को पूरी तरह चालू और सुचारू रूप से चल रहा है बताया गया है, लेकिन गांव की वास्तविक स्थिति बिल्कुल इसके विपरीत है।।                   केयरटेकर चमेला देवी 

सेक्रेटरी से पूछताछ में उन्होंने दावा किया कि शौचालय सुचारू रूप से चल रहा है और उसकी देखरेख के लिए समूह नियुक्त है। लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि शौचालय निर्माण के कुछ ही समय बाद मात्र दो महीने चला और उसके बाद से बंद पड़ा है। दरवाजा के ऊपर लगी जाली से अंदर की स्थिति देखने के लिए जब कैमरा किया गया तो वीडियो में अन्दर गद्दा बिछाया दिखा इस पर जब जिम्मेदारों से सवाल किया गया स्पष्ट जवाब नहीं दिया गया।

 सामुदायिक शौचालय के अंदर बिछा हुआ गद्दा की तस्वीर 

शौचालय की केयरटेकर रहीं दलित महिला चमेला देवी ने बताया कि उन्हें लगभग 18 महीनों में सिर्फ 18 हजार रुपये तीन बार में दिए गए हैं, जबकि वेतन सिर्फ तीन हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाता था। भुगतान भी सीधे प्रधान या पंचायत द्वारा और ना ही समूह के खाते से नहीं, बल्कि गांव के अध्यापक नरसिंह यादव के माध्यम से बाई कैश हाथ में दिया जाता था। विधवा व दलित महिला चमेला देवी का कहना है कि न उन्हें पूरा मानदेय बताया गया, न उनका हिसाब किया गया और बिना किसी उचित वजह के उन्हें समूह से बाहर भी कर दिया गया।

जब मामले का खुलासा हुआ और प्रधान से संपर्क किया गया, तो उन्होंने हाथ की समस्या बताकर सीधे बात करने में असमर्थता जताई और अपने पुत्र सौरभ यादव से मिलने के लिए कहा। संकल्पना सामाजिक सेवा संगठन के अध्यक्ष व मीडिया टीम से मिलने पर सौरभ यादव ने मामले को खत्म करने की बात कही। इतना ही नहीं , प्रधान पुत्र सौरभ यादव के साथ आए एक सहयोगी पत्रकार ने आशुतोष श्रीवास्तव पत्रकार हत्या कांड का हवाला देकर अप्रत्यक्ष धमकी देने की कोशिश भी की।

यह पूरा प्रकरण ग्राम पंचायत की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करता है। कागज़ों पर विकास दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट करने का यह मामला केवल भ्रष्टाचार ही नहीं, बल्कि ग्रामीणों के अधिकारों और श्रमिकों के शोषण का भी जीता-जागता उदाहरण है।

गांव के लोगों ने प्रशासन से मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है ताकि सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तव में जनता तक पहुंच सके, न कि भ्रष्ट तंत्र की जेबों में जाए। अब देखना है कि शासन और प्रशासन इस मामले में दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों के प्रति क्या कार्रवाई करता है और ग्रामीणों के साथ न्याय होता है या नहीं ।

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