किसान भाइयों, सावधान! भिंडी की फसल पर मंडरा रहा है कीटों का खतरा, समय रहते करें प्रबंधन

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कृषि विज्ञान केंद्र, अमिहित के वैज्ञानिकों की सलाह

 

जौनपुर – भिंडी की हरी-भरी फसल पर कीटों और रोगों का संकट मंडरा रहा है। अगर आपने समय रहते इनका प्रबंधन नहीं किया, तो आपकी मेहनत और लागत दोनों पर पानी फिर सकता है। यह चेतावनी दी है कृषि विज्ञान केंद्र, अमिहित, के पादप सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. गजेंद्र सिंह ने।

 

डॉ. सिंह ने बताया कि इन दिनों भिंडी की फसल में फल बेधक कीट सबसे अधिक नुकसान पहुंचा रहा है। इस कीट से बचाव के लिए किसान भाई अपने खेत में फेरोमोन ट्रैप लगाएं और साथ ही हेलिल्यूर 5 का प्रयोग प्रति एकड़ करें। यह उपाय कीट के जीवनचक्र को रोकने में सहायक होता है।

 

फलों की सुरक्षा के लिए करें यह छिड़काव: भिंडी के फलों को कीटों से बचाने के लिए डेल्टामेथ्रिन 2.8 ईसी का एक मिली प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। ध्यान रखें, दवा के छिड़काव के कम से कम 24 घंटे बाद ही फल तोड़ें, ताकि खाने वाले उपभोक्ताओं को किसी भी तरह की हानि न हो।

 

पत्तियों पर सफेद चूर्ण दिखे तो समझ जाइए – पाउडरी मिलड्यू है: यदि भिंडी के पत्तों पर सफेद पाउडर जैसा चूर्ण दिखे, तो यह पाउडरी मिलड्यू का लक्षण है। इसके लिए सल्फर 80 WP की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में मिलाकर सुबह या शाम के समय छिड़काव करें। दोपहर में न करें, क्योंकि तेज धूप में पत्तियां झुलस सकती हैं।

 

फुदका से फसल को बचाइए, वो भी बिना जहरीले रसायन के: फुदका जैसे चूसक कीटों के जैविक नियंत्रण के लिए नीम तेल (3000 PPM) का 5 मिली प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें। यह प्राकृतिक तरीका है और फसल व पर्यावरण दोनों के लिए सुरक्षित भी।

 

कृषि वैज्ञानिकों की अपील: कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों से अपील की है कि वे समय-समय पर अपने खेतों की निगरानी करें और बताए गए उपायों को अपनाकर अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखें।

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