जौनपुर –
हम नहीं सुधरेंगे, चाहे सीसी कैमरा लग जाय या कुछ और। स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन हो लेकिन हम अपने ही तरीके से काम करेंगे। यह कहीं और नहीं, बल्कि अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला चिकित्सालय के डॉक्टरों का कहना है कि हम अपने ही तरीके से काम करेंगे। बताते चलें कि सूचना एवं नियमावली के अनुरूप तो जिला चिकित्सालय में ओपीडी खुलने का समय 8 बजे प्रातः एवं बंद होने का दोपहर 2 बजे है जिसके बीच में जनपद के 6 तहसील एवं 21 ब्लॉकों से मरीज आते हैं परन्तु जिला चिकित्सालय में फिजिशियन और सर्जन चिकित्सक की भरमार होने के बावजूद भी मरीज संतुष्ट नहीं हो पाता है। कारण कि लगभग सभी डॉक्टर 10 बजे से पहले अपने ओपीडी कक्ष में नहीं पहुंच पाते हैं। मरीजों का तांता लगा रहता है। कोई भी डॉक्टर उपलब्ध न रहने पर पूछे जाने पर बताया जाता है कि डॉक्टर साहब राउंड पर हैं जबकि पत्र—प्रतिनिधि की टीम ने सर्जिकल वार्ड सहित सभी वार्डों का निरीक्षण करने पर पता चला कि डॉक्टर की उपस्थिति नहीं जबकि जिला अस्पताल में कुल ६ सर्जन, हड्डी के ३, फिजिशियन डॉक्टर ४, ईएनटी १, बाल रोग विशेषज्ञ २, आंख के ३, दांत के २, चमड़ी के एक डॉक्टर होने के बावजूद भी मरीज को दलालों द्वारा गुमराह करके उक्त डॉक्टरों के निजी अस्पतालों तक पहुंचाया जाता है। उसका सबसे बड़ा कारण है कि चिकित्सक का सही समय से उपलब्ध न होना। वह भी कहीं न कहीं से मिलीभगत का खेल खेला जाता है। टीबी अस्पताल द्वारा संचालित दो एक्सरे मशीन लगी हुई है जहां तकनीकी ऑपरेटर भी नियुक्त होने के पश्चात भी एक्सरे का कार्य नहीं हो पाता है जबकि जिला चिकित्सालय में संविदा कर्मियों पर एक्सरे विभाग की जिम्मेदारी दी गई है परंतु टीवी अस्पताल पर एक्सरे कार्य नहीं होता है। बताते चलें कि अल्ट्रासाउंड रेडियोलॉजिस्ट के नाम पर डॉक्टर शहीद उमानाथ सिंह अस्पताल में उपलब्ध नहीं है जबकि एक डॉक्टर एके पांडेय है जिनकी नियुक्ति महिला अस्पताल में है परंतु उनकी क्षमता को दाद देनी होगी कि महिला अस्पताल से लेकर पुरुष अस्पताल तक सुबह 8 बजे से चिकित्सालय बंद होने तक वह रेडियोलॉजिस्ट का काम करते ही रहते हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, मुख्य चिकित्सा अधिकारी सहित उच्चस्थ अधिकारी एवं शासन सत्ता द्वारा इन बिंदुओं पर विचार कर जल्द से जल्द निस्तारण नहीं किया गया तो यह जनहित में बहुत ही हानिप्रद सिद्ध हो सकता है। जिला अस्पताल पर आने वाले मरीजों का सही समय से एक्सरे और अल्ट्रासाउंड न होने पर दूर—दराज से मरीजों को बाहर जाकर कराना पड़ता है जिसमें उन गरीब असहाय मरीजों का शोषण किया जाता है।