विद्या चाइल्ड हॉस्पिटल में अप्रशिक्षित स्टाफ बॉय के कारण मरीजो को हो रही समस्या : मनोज कुमार

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शाहगंज / जौनपुर

अस्पताल में जहाँ एक ओर डॉ० के गैर मौजूदगी में उपस्थित कम्पाउन्डर की मदद से जहा लोगो का इलाज किया जाता है और अस्पताल में प्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ को रखने की हिदायत भी है लेकिन कभी कभी हॉस्पिटल की लापरवाही के कारण अप्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ के कारण मरीजो के साथ न तो सही तरीके से व्यवहार मिलता है और न तो सही इलाज । इस प्रकार के अनेकों मामले देखने को मिलते है और आपने शायद देखा भी हो । आयेशा ही एक मामला जौनपुर के कोतवाली व थाना शाहगंज नगर के आजमगढ़ रोड पर स्थित सब्जी मंडी के पास विद्या चाइल्ड हॉस्पिटल, डॉ० देवीप्रसाद पुष्पजीवी के स्टाफ पर अपने बेटे के इलाज के लिए गए एक व्यक्ति के द्वारा आरोप लगाने का मामला सामने आया है । मिली जानकारी के अनुसार आपको बता दे कि मनोज कुमार का आरोप है कि वह अपने बेटे के इलाज के लिए वह विद्या चाइल्ड हॉस्पिटल में अपने बेटे प्रत्युष (नवजात शिशु ) के इलाज के लिए गया था । उस इलाज के दौरान डॉक्टर देवी प्रसाद पुष्पजीवी के द्वारा कंपाउंडर के द्वारा नवजात शिशु के मेडिफलाम लगाने और इलाज के लिए भेज दिया लेकिन मेडिफलाम लगाने के चक्कर में नवजात प्रत्युष के दोनों हाथ और दोनों पैर और हाथ में छेद- छेद करके करके परेशान कर दिया जिससे बच्चे का रो रो कर के बुरा हाल हाल है और पिता का आरोप है कि बच्चा तभी से मानसिक रूप से डरा हुआ और परेशान है ।

हम आपको बताते चलें कि कल सोमवार देर रात को प्रत्यूष नाम का एक नवजात शिशु को उसके माता-पिता ने इलाज हेतु विद्या चाइल्ड हॉस्पिटल डॉ देवी प्रसाद पुष्प जीवी के यहां डॉक्टर ने दवाइयां लिखी उसके बाद अपने कम्पाउण्डर को दवाइया देने और मेडिफलाम लगाने को बेनीफलाम लगाने के लिए आदेश दिये इधर कंपाउंडर ने लगातार एक से डेढ़ घंटा तक बच्चे का शरीर को छेदते रहें हाथ और पैर छेद छेद करके कर दिया बेकार कर दिया फिर भी नहीं लगा पाये मेडिफलाम डेढ़ घंटा से बच्चे का रो रो कर के हुआ हाल बेहाल जब बच्चे का अभिभावक कंपाउंडर माना करने लगा तो सारे कंपाउंडर एकमत होकर के बच्चे व उसके माता-पिता को धक्के मार कर के बाहर निकाल दिया गया । जब बच्चे का पिता ने बताया कि मैं एक पत्रकार भी हूँ फिर भी
से बातचीत करूंगा तो डॉक्टर और कंपाउंडर ने धमकी देते हुए कहा कि जाओ जो कुछ करना है कर लो। तुम हम लोगों का कुछ नहीं कर पाओगे और भला बुरा भी कहा ।
बच्चा मानसिक रूप से हो परेशान और हम आपको बता दें कि डॉ देवी प्रसाद पुष्पजीवी के हॉस्पिटल में जो कंपाउंडर रखे हैं गए सारे कंपाउंड लगभग नाबालिक है जिनकी उम्र लगभग 15 से 18 के बीच में है । इस प्रकार से काम उम्र के अप्रशिक्षित पैरामेडिकल स्टाफ के द्वारा इलाज कहा तक संभव है आप खुद ही सोच सकते है कि इस प्रकार की मानसिकता रखने वाले डॉ और उनके स्टाफ के द्वारा जनता का के साथ कितना अच्छा व्यवहार किया जाता हो गया आप खुद ही सोच सकते है अब देखना यह है कि इस प्रकार के मनबढ़ हॉस्पिटल पर कब रोक लगेगी और कब प्रशासन इसको गम्भीरता से लेगा।

पत्रकार मनोज कुमार की रिपोर्ट

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