पौध रोपण कराओ , फ़ोटो खिंचवाओ और जिम्मेदारी भूल जाओ, रजिस्टर में सालाना रिकार्ड तोड़ पौध रोपण, लेकिन उन पौधों की देखभाल राम भरोसे,रजिस्टर में हरियाली रिकार्ड तोड़, हकीकत में हैं कोसों दूर।

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दोस्त पुर/सुल्तानपुर
ग्राम प्रधानों पर दबाव बनाकर हर साल लगवाए जाते हैं पेड़
उत्तर प्रदेश में प्रति वर्ष करोड़ो पौधों का रोपण का लक्ष्य जिलेवार आवंटित होता है, विभाग पूरे जोश के साथ माननीय नेताओं के हाथों पौधा रोपण कराता है। लंबे लंबे भाषणों अर्थात पर्यावरण के महत्व, वर्षा में वृक्षों की भूमिका, आक्सीजन आदि तमाम कार्यक्रम के बाद चंद दिनों बाद उन्ही पौधों को अनदेखा कर दिया जाता है। प्रदेश में हर साल वृक्षारोपण अभियान के तहत करोड़ों पौधे रोपित किए जाते हैं। सरकारें इसे लेकर जोर शोर से अभियान चलाती हैं। राज्यपाल, मुख्यमंत्री से लेकर सरकार के तमाम मंत्री, विधायक, सत्तारूढ़ दल के कार्यकर्ता से लेकर तमाम संगठन, सरकारी विभाग बड़े स्तर पर अभियान का हिस्सा बनते हैं। यूपी में तो पौधारोपण में सरकारें हर साल अपना ही रिकॉर्ड तोड़ती हैं। चाहे पूर्व की अखिलेश सरकार रही हो या वर्तमान की योगी सरकार, सभी हर साल रिकॉर्डतोड़ प्लांटेशन का दावा करते हैं। ये पौधे अगर पेड़ बन जाएं तो उत्तर प्रदेश में हरियाली का अंदाजा अपने आप ही लगाया जा सकता है। लेकिन ऐसा दिखता क्यों नहीं है? बड़ा सवाल ये है कि इनमें से कितने पौधे पेड़ बन पाते हैं।पौधरोपण अभियान सिर्फ पौधे लगाने और फोटो खिंचवाने तक ही सीमित रह गया है। पौधे लगाइए, तस्वीरें खिंचवाइए और फिर जिम्मेदारी भूल जाइए। इसके बाद न पर्यावरण की फिक्र न ही पौधे की देखभाल की।
जिले में हर साल लाखों की संख्या में पेड़ लगाए जाते हैं. लेकिन देखरेख की कमी और लापरवाही के चलते अधिकांश पेड़ सुख जाते हैं. अगर इन पौधों को ट्री गार्ड लगाकर सुरक्षित किया जाए तो चारों तरफ हरे भरे पौधे नजर आते. जिसको सुरक्षा की जिम्मेदारी दी जाती है उनसे पौधे के देखरेख से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहता।लगभग 10 प्रतिशत पौधे हरे हैं सिर्फ 90 प्रतिशत पौधे ही सूखे हैं. जिनमें पौधों की कमी के चलते ऐसा हुआ है और कुछ मौसम की कमी से खराब हुए हैं. वहीं बच्चे और जानवरों ने भी कुछ पेड़़ों को नुकसान पहुंचाया है.ग्रामीणों ने बताया कि पेड़ों में न ही कभी पानी डाला गया और न कोई देखरेख करने वाला है.यह हाल तब है जब सरकार पौधे लगाने के लिए बड़ा अभियान चला रही है।
वन महोत्सव के तहत जिले में 25 लाख पौधे रोपे जाने का लक्ष्य था। पौधरोपण अभियान 5 जुलाई से शुरू हुआ जो 7 जुलाई तक चला। इसमें वन विभाग समेत सभी विभागों ने मिलकर तीन दिनों में 25 लाख पौधे रोपे गए।वृक्षारोपण की ये रफ्तार साल दर साल बढ़ती ही जा रही है। जिस तरह की संख्या बताई जाती है, उससे तो लगता है कि जनपद के काफी हिस्से में तो अब तक जंगल खड़े हो जाने चाहिए थे, हरियाली ही हरियाली दिखनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा क्यों नहीं है? सवाल ये है आखिर इतनी भारी तादाद में पौधे लगाए जाते हैं तो ये दिखते क्यों नहीं हैं? इनमें से कितने पेड़ बन सके? इसका जवाब देते हुए दावा करने कोई आगे क्यों नहीं आता?यूपी में 2017 में योगी सरकार आई तो उसने 6 करोड़ से ज्यादा पौधे लगाने का एक नया रिकॉर्ड कायम किया था। पांच साल बाद ये संख्या 25 करोड़ तक पहुंच गई है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि तमाम सरकारी तामझाम, प्रचार अभियान और भारी-भरकम धनराशि खर्च करने के बावजूद कितने पौधे पेड़ बन सके। जितने पौधे लगाने का दावा किया जाता है, उसके 10 फीसदी पेड़ बन पाए क्या?
के मास न्यूज पत्रकार दोस्त पुर

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