बच्चों की बेसिक शिक्षा बचाने के लिए बड़ी तादात में भारी बारिश में विरोध प्रदर्शन करते हुए मोस्ट कल्याण के लोग

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सुल्तानपुर/उत्तर प्रदेश

गरीबों की बेसिक शिक्षा को बचाने के लिए प्रदेश व्यापी आंदोलन छेड़ेंगे : श्यामलाल

स्कूल बंद करने के विरोध में मोस्ट का जोरदार प्रदर्शन

 

उत्तर प्रदेश के जिला सुल्तानपुर में दिनांक 17.07.2025 को मोस्ट कल्याण संस्थान, उत्तर प्रदेश के तत्वाधान में प्रदेश सरकार द्वारा विद्यालयों को बन्द किये जाने के आदेश का विरोध करते हुए मोस्ट जिला संयोजक राकेश कुमार निषाद के नेतृत्व में शिक्षा बचाओ–स्कूल बचाओ अभियान के तहत जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष जोरदार प्रदर्शन कर राष्ट्रपति को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया।

ज्ञापन में लिखा है कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21ए अंतर्गत 06 से 14 वर्ष के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार प्रदान किया गया है, यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि कोई भी बच्चा आर्थिक कारणों से शिक्षा से वंचित न रहे और राज्य की जिम्मेदारी है कि वह कानून बनाकर सभी बच्चों को शिक्षा उपलब्ध कराए। अनु. 41 द्वारा राज्य को शिक्षा प्रदान करने के निर्देश के साथ-साथ प्रत्येक माता-पिता या संरक्षक को अपने 06 वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों को शिक्षा का अवसर प्रदान करना 11वां मौलिक कर्तव्य घोषित किया गया है। किंतु 16 जून, 2025 को अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा विभाग, उत्तर प्रदेश शासन द्वारा उत्तर प्रदेश के समस्त जिलाधिकारी/अध्यक्ष, जिला शिक्षा परियोजना समिति को प्राथमिक विद्यालयों को समीप के विद्यालयों से युग्मन का (विद्यालयों की संख्या कम करने का) संविधान विरोधी/मौलिक अधिकार विरोधी आदेश जारी किया गया है जिसका प्रदेश में व्यापक स्तर पर विरोध भी किया जा रहा है।

मोस्ट ने आरोप लगाया है कि उक्त संविधान विरोधी/मूल अधिकार विरोधी आदेश का हवाला देकर जनपद के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी/खण्ड शिक्षा अधिकारियों द्वारा स्कूल को बंद करने का संविधान विरोधी आदेश जारी कर स्कूल स्टाफ को डरा-धमकाकर जबरन सहमति ली जा रही है। उक्त संविधान विरोधी कृत्य से ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले बच्चों को प्राथमिक शिक्षा के अवसर से वंचित होने की संभावना है जो कि बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने के संवैधानिक बाध्यता का घोर उल्लंघन है।

ज्ञापन में यह भी उल्लेख है कि पिछड़े और वंचित क्षेत्रों में विद्यालयों की संख्या कम करना व बच्चों को बेसिक शिक्षा से वंचित करना चिंता का विषय है। क्योंकि भारत का संविधान गांव, गरीब और पिछड़े समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के हित और उन्नति के प्रति समर्पित है। ऐसे वर्गों के बच्चों को शिक्षा से वंचित करना संविधान की मूल भावना के साथ अन्याय होगा और ऐसे क्षेत्रों में बच्चों की सुलभ, सस्ती और सुलभ प्राथमिक शिक्षा का संवैधानिक अधिकार प्रभावित होगा और शिक्षा का स्तर व साक्षरता दर में कमी आएगी, जो संविधान की मंशा के विपरीत है।

राष्ट्रपति से मांग की गई है कि विद्यालयों के युग्मन/संख्या कम करने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाय और शासन को यह निर्देश दिया जाय कि विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने और आधारभूत सुविधाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में कार्य करें।

मोस्ट निदेशक शिक्षक श्यामलाल “गुरूजी” ने कहा कि संविधान प्रदत्त शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा सम्मान को हासिल करने के लिए मोस्ट द्वारा जन-जागृति का कार्य तेज किया जाएगा, क्योंकि सरकार का यह दुस्साहस हमारे लोगों की सामाजिक चुप्पी व लोकतांत्रिक बेहोशी का परिणाम है। यदि एक माह के अंदर प्रदेश में बंद किए गए प्राथमिक स्कूलों को पुनः चालू नहीं कर दिया जाता तो मोस्ट के लोग अपने संवैधानिक अधिकारों का प्रयोग करते हुए गरीबों-पिछड़ों के गांव की बेसिक शिक्षा को बचाने के लिए प्रदेश व्यापी आंदोलन छेड़ने के लिए बाध्य होंगे।

कार्यक्रम के आयोजक मोस्ट जिला संयोजक राकेश कुमार निषाद ने भारी बारिश के दौरान भी गरीबों, ग्रामीणों, पिछड़ों के बच्चों की शिक्षा बचाने के संघर्ष में शामिल होने वाले सभी क्रांतिकारियों का आभार व्यक्त किया।

उक्त अवसर पर हजारों की संख्या में मोस्ट समर्थक व पदाधिकारी मौजूद रहे।

के मास न्यूज सुल्तानपुर

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