हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई-मिलकर के सब करें पढ़ाई। मम्मी पापा हमें पढ़ाओ-स्कूल चलके नाम लिखाओ

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आज़मगढ़।सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में अप्रैल के नये सत्र में जनपद और प्रदेश में “स्कूल चलो अभियान” के तहत गांव गांव अध्यापक बच्चों के साथ रैलियां निकालकर नारे लगवा रहे हैं।वर्तमान समय में प्रथमिक विद्यालय कंपोजिट अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा, छात्र वृत्ति, यूनिफार्म,किताब कॉपी,डेस्क बेंच,मध्यान भोजन,स्कूल भवन चार दशक पूर्व की व्यवस्था से बहुत बेहतर है।तो क्या कारण है कि सरकारी प्राथमिक स्कूल की बेहतर व्यवस्था के बावजूद नामांकन के लिए जुलूस निकाले जा रहे हैं।
मंगलवार की सुबह निज़ामाबाद क्षेत्रांगत मुहम्मदपुर ब्लॉक के न्याय पंचायत प्राथमिक विद्यालय परसहा में ये नजारा देखने को मिला।स्कूल चलो जागरूकता अभियान जब गांव में साहित्य से दोस्ती पुस्तक केंद्र से गुजर रहा था तो लोग घरों के बाहर निकलकर कौतूहल और आश्चर्य की दृष्टि से बच्चों और अध्यापकों को निहार रहे थे।अखिल भारतीय प्रारंभिक शिक्षक महासंघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कॉमरेड हरिमंदिर पांडेय ने सवाल करने पर बताने लगे कि 6 दशक पूर्व हम नंगे पैर झोटा,पट्टी,बैठने हेतु बोरी लेकर स्कूल जाते थे और पेड़ की छांव में बैठकर पढ़ते थे।एक बार आधे से स्कूल न जाकर घर वापस आने पर हमारी अनपढ़ माता संपत्ति देवी ने डंडा से मारते हुये हमें स्कूल भेजा था। कॉमरेड पांडेय दूसरे सवाल पर बताते हैं कि 1980 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के समय नई शिक्षा नीति लागू की गयी।तब कुछ शिक्षक संगठनों द्वारा उसका विरोध इसलिए किया गया कि आगे चलकर सरकारी शिक्षा व्यवस्था पर इसका दूरगामी परिणाम पड़ेगा।धीरे धीरे परिणाम इस नतीजे तक पहुंच गया कि हर सुविधा के बाद भी अभिभावक निजी स्कूलों में ज्यादा जोर देने लगे और निजी स्कूलों को मनमानी करने के लिए सरकारी नीतियां भी उसी तरह की बनती रही।पहले छात्र संख्या के अनुसार कम अध्यापक और उसके बाद अध्यापकों के जिम्मे स्कूल से इतर दूसरे कार्य और लेखा जोखा की जिम्मेदारी से पठन पाठन पर प्रतिकूल असर पड़ा।सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के पाठ्यक्रमों में भी बहुत खामियां हैं जिनमे सुधार की जरूरत है।आज ऐसी व्यवस्था और शिक्षा नीतियों में खामियों की वजह से ही अध्यापकों को सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए प्रभात फेरियां निकालनी पड़ रही है।
बच्चों के साथ चल रहे प्रधानाध्यापक दयाशंकर यादव,सहायक शिक्षक अनंत कुमार,विनीता सिंह,इंदू यादव,शशि प्रभा,शिकमित्र निशा राय, प्रेरक वंदना ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग और हमारे इन प्रयासों से गांव की गरीब आबादी में सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और लोग बच्चों के नामांकन में रुचि भी ले रहे हैं।

क्राइम ब्यूरो मनोज कुमार बौद्ध

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