वर्चुअल संवाद के भरोसे नेता, सोशल मीडिया को बनाया हथियार

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अंबेडकरनगर : चुनाव की घोषणा होते ही सभी दलों में जनसभाओं और रैलियों पर कोरोना महामारी के चलते चुनाव आयोग ने रोक लगा रखी है। ऐसे में अब सबकी नजर वर्चुअल संवाद पर है। सोशल मीडिया पर लड़ाके तैयार किए जा रहे हैं। दल अपने पास अधिक आकड़े में मसलन मोबाइल नंबर, ईमेल आइडी व वाट्सएप नंबर आदि बटोरने में लगे हैं। भाजपा, सपा, बसपा एवं कांग्रेस सहित कोई भी दल इसमें पीछे नहीं रहना चाहता।
भाजपा के पास ढाई लाख से अधिक नंबरों का डेटा : भाजपा के मीडिया प्रभारी बाल्मीकि उपाध्याय का दावा है कि उसके पास सर्वाधिक लोगों का डेटा है। भाजपा हर व्यक्ति तक पहुंची है। उनके वाट्सएप ग्रुप से ढाई लाख से अधिक लोग जुड़े हैं। भाजपा वर्चुअल रैलियों का प्रयोग पहले भी विभिन्न प्रांतों के चुनावों में कर चुकी है। इसलिए नंबरों की अहमियत अच्छी तरह से जानती है। हर बूथ पर 11 युवाओं की टोली के साथ पूरे दमखम के साथ वापसी की बिसात बिछाने में जुटी है।
कांग्रेस भी किसी से कम नहीं : कांग्रेस के सोशल मीडिया जिलाध्यक्ष संजय तिवारी ने बताया कि जिले में 100 से अधिक सोशल मीडिया प्रभारियों को प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ ही प्रतिदिन जिले से लेकर केंद्रीय संगठन के पदाधिकारी वर्चुअल मीटिग के माध्यम से जनता तक पार्टी की नितियों को पहुंचाने का कार्य कर पार्टी के पक्ष में वोट करने की अपील कर रहे हैं।
बसपा की शांती सब पर भारी : मंडल मुख्य सेक्टर प्रभारी घनश्याम चंद्र खरवार ने बताया कि पार्टी अपनी गोपनीयता भंग नहीं करती है। चुनाव आयोग की गाइड लाइन का पालन करते हुए कार्यकर्ताओं की टोलियों घर-घर प्रचार करने में जुटी है। बूथ तक कार्यकर्ता पूरी ताकत से अपने उम्मीदवारों को जीतने में लगे हैं।
सपा के पास भी नंबरों की गुणा गणित : सपा जिलाध्यक्ष रामशकल यादव ने बताया कि सोशल मीडिया, टयूटर आदि माध्यमों पर प्रचार के लिए कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है। चुनाव आयोग की गाइड लाइन के अनुसार कोविड गाइड लाइन का पालन कर साइकिल व पैदल लोगों के घरों तक कार्यकर्ता पहुंच रहे हैं। मोबाइल नंबर तो इतने हैं कि गिनती कर पाना मुश्किल है।

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