विधानसभा टाण्डा में सपा के पैंतरे से खलबली, साधे कई निशाने

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अंबेडकरनगर। विधानसभा चुनाव में टिकट देने को लेकर समाजवादी पार्टी ने जिले की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर दिया है। सभी तरह की अटकलों को दरकिनार करते हुए सपा ने टांडा से पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा को उतारकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। इसमें बसपा से आए चार नेताओं को टिकट दिए जाने के बाद बाहरी को तवज्जो दिए जाने की चर्चाओं पर विराम लगाने की कोशिश हुई है,तो वहीं पार्टी के समर्पित व जुझारू सदस्यों को टिकट न दिए जाने को लेकर निराश कार्यकर्ताओं व समर्थकों को भी साधने का प्रयास किया गया है। टांडा में सपा से टिकट के लिए अल्पसंख्यक दावेदारों के बीच मची खींचतान से निपटने के लिए भी सपा के इस फार्मूले की खासी चर्चा है। सपा की ओर से अप्रत्याशित रूप से राममूर्ति को टांडा से लड़ाए जाने के बाद जहां बसपा खेमे में टिकट बदले जाने के आसार नजर आने लगे हैं, तो वहीं भाजपा की तरफ से कुर्मी वर्ग के दावेदारों की पैरवी कमजोर पड़ गई है।
समाजवादी पार्टी ने जिले में चार सीटों पर टिकट की घोषणा करने के बाद जब एक सीट पर प्रत्याशी नहीं उतारा था, तब शायद ही किसी को यह उम्मीद रही हो कि वह टांडा में बड़ा फैसला करने जा रही है। चर्चा गठबंधन कोटे में सीट जाने की थी, लेकिन उससे भी आगे बढ़ते हुए सपा ने अकबरपुर से चुनाव लड़कर विधायक बने पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा को मैदान में उतार दिया। यह खबर शनिवार को सिर्फ मीडिया ने प्रकाशित की थी। इस बीच समाजवादी पार्टी ने अधिकृत तौर पर तो घोषणा नहीं की, लेकिन उसने शनिवार को सोशल मीडिया पर कई पत्र जारी किए, जिसमें टांडा से प्रत्याशी के तौर पर राममूर्ति का जिक्र किया गया था। ऐसे में मीडिया की खबर पर समाजवादी पार्टी की मुहर लग गई है। इस टिकट के साथ ही समाजवादी पार्टी ने कई निशाने साधने की कोशिश की है। दरअसल जलालपुर, आलापुर, कटेहरी व अकबरपुर में सपा ने बसपा से आए नेताओं को टिकट दे दिया है। इससे कार्यकर्ताओं में असंतोष देखने को मिल रहा था। जलालपुर के सपा विधायक सुभाष राय ने तो पार्टी छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली, जबकि पूर्व मंत्री राममूर्ति पर भी बीजेपी की तरफ से डोरे डाले जा रहे थे।
सपा ने राममूर्ति को आजमगढ़ जनपद की सगड़ी सीट से चुनाव लड़ाने को सोचा था, लेकिन पार्टी को लगा कि टांडा से चुनाव लड़ाकर ज्यादा बेहतर संदेश दिया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार राममूर्ति वर्मा को टिकट देकर सपा ने स्थानीय व जुझारू कार्यकर्ताओं को जिले में टिकट न दिए जाने की चर्चाओं पर विराम लगाने की कोशिश की है, तो वहीं राममूर्ति को टिकट न देने से नाराज होने वाले कुर्मी वर्ग के मतदाताओं को भी संतुष्ट करने का प्रयास किया गया है। इस वर्ग के मतदाताओं पर भाजपा के अलावा बसपा की भी नजर है। सपा ने जिले मेें अब कुर्मी वर्ग के दो बड़े नेताओं लालजी वर्मा व राममूर्ति वर्मा को टिकट दे दिया है।
टांडा के घमासान का भी निकाला फार्मूला
टिकट को लेकर टांडा में अल्पसंख्यक दावेदारों के बीच ही ज्यादा घमासान था। यह सीट कुर्मी वर्ग के दावेदारों के अलावा अल्पसंख्यक वर्ग के दावेदारों की बहुलता के लिए पहचानी जाती है। इन्हीं दोनों वर्ग से यहां प्राय: विधायक होते रहे हैं। इस बार टांडा में अल्पसंख्यक दावेदारों में एक मंत्री पुत्र, एक पूर्व विधायक पुत्र, एक नगर पंचायत अध्यक्ष पद के पति, यूथ विंग के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष तथा जिला कमेटी के एक पदाधिकारी शामिल थे। इनके बीच टिकट का निर्धारण करना कठिन हो रहा था। इनमें से किसी एक को टिकट मिलने पर पार्टी को ज्यादा बड़ी बगावत की आशंका थी। अब राममूर्ति को टिकट देते समय पार्टी नेतृत्व इस मत पर पहुंचा है कि अल्पसंख्यक प्रत्याशियों के बीच आपसी सिर फुटव्वल नहीं होगी। पार्टी के एक बड़े नेता ने कहा कि अल्पसंख्यक मतदाताओं को बताया जाएगा कि पार्टी ने पूरे प्रदेश में अल्पसंख्यकों को कितनी सीटें दी हैं। उनके मान-सम्मान का पूरा ध्यान सिर्फ समाजवादी पार्टी को ही है।
अन्य दलों पर भी पड़ेगा असर टांडा विधानसभा सीट से सपा की ओर से पूर्व मंत्री राममूर्ति वर्मा को उतारने का अन्य दलों पर सीधा असर पड़ता दिख रहा है। बसपा ने यहां से कुर्मी वर्ग के ही प्रत्याशी मनोज वर्मा को मैदान में उतार रखा है। मनोज ने 2017 का चुनाव भी बसपा के टिकट पर लड़ा था। अब राममूर्ति जैसे बड़े कद के नेता के यहां से चुनाव लड़ने का एलान होते ही बसपा व भाजपा खेमे में खलबली साफ दिख रही है। खबर यह है कि बसपा की तरफ से टांडा में प्रत्याशी बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। यहां अब बसपा की तरफ से अल्पसंख्यक प्रत्याशी उतारे जाने की चर्चा है। इसके लिए सपा के ही एक दावेदार से पार्टी के वरिष्ठ नेता संपर्क में जुट गए हैं। उधर, भाजपा से सिटिंग विधायक संजू देवी तो टिकट की दावेदार हैं ही, साथ में कुर्मी वर्ग से तीन दावेदार मजबूती से जुटे हुए हैं। इनमें से एक जिला पंचायत अध्यक्ष साधू वर्मा ने चुनाव लड़ने में असमर्थता जताई है, जबकि दो अन्य दावेदारों की पैरवी सपा से राममूर्ति वर्मा के आ जाने के चलते कमजोर पड़ती दिखने लगी है।

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