विस्थापित चौदह राजवंशों को पुनः क्षत्रिय समाज की मुख्यधारा में समाहित करने हेतु हुयी चर्चा

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जौनपुर,समय की मांग को देखते हुए एवं राजर्षि कुंवर श्रीपाल सिंह “राजा सिंगरामऊ” जौनपुर के अधूरे सपने को पूरा करने हेतु संगठन के सच्चे सिपाही अ0 भा0 क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय संगठन मंत्री एवं क्षत्रिय प्रशस्ति ग्रंथ के लेखक,सुरुवार पट्टी जौनपुर के ठा0 आद्या प्रसाद सिंह के आवास पर एक बैठक आयोजित की गई,जिसमें चौहान वंश के क्षत्रियों को पुनः छत्रिय समाज की मुख्यधारा से जोड़कर इनसे रोटी-बेटी जैसा हर सामाजिक संबंध स्थापित किया जाना अति आवश्यक है,विगत समय की बात है,जब विस्थापित चौहान क्षत्रियों की अखिल भारतीय राजपूत धर्म प्रचारिणी महासभा संचालित हुआ करती थी,जिसे सन 1984 में स्थापित राजपूतों की अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा में यह कहकर विलय कर दिया गया कि, मुगलों के अत्याचारों से अपना सम्मान और स्वाभिमान बचाने हेतु 14 क्षत्रिय राजवंश जैसे चौहान, परमार,परिहार,सोलंकी,राठौर, सेनवंसी,चंद्रवंशी,तोमर आदि लोगों का विस्थापन हुआ,इन्होंने तरह-तरह की यातनाएं सही परंतु मुगलों की दासता को स्वीकार नहीं किया, इसलिए यह भी हमारे भाई हैं और इनसे हर सामाजिक संबंध स्थापित किया जाना अति आवश्यक है,परंतु कुछ अहंकारी विचारधारा के राजपूतों ने केवल राजनीतिक लाभ लेने के लिए इन्हें गुमराह करते रहे, जिससे स्थापित एवं विस्थापित क्षत्रियों के बीच की खाई आज भी जस की तस बनी रही, जिसे दूर करने के लिए तमाम मुद्दों पर चर्चा करते हुए यह निर्णय लिया गया कि अब तक जो भी संस्थाएं स्थापित एवं विस्थापित क्षत्रियों के मुद्दे को लेकर काम कर रही हैं,उन्होंने लगन से काम नहीं किया इसलिए अब अलग संस्था “स्थापित एवं विस्थापित राजपूत समन्वय समिति” बनाकर कार्य किए जाने की आवश्यकता है,इस बैठक में दीवानी न्यायालय जौनपुर के मध्यस्थता अधिकारी एवं मौसम वैज्ञानिक डॉ दिलीप कुमार सिंह,कात्यायनी कन्वेंट स्कूल के प्रबंधक डॉ0 घनश्याम सिंह,अपराध निरोधक कमेटी अध्यक्ष डॉ0 जयसिंह राजपूत एवं उपदेश सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।

संवाददाता
अनिल आर्या

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