जौनपुर सीट पर सवर्ण से अधिक ओबीसी मतदाता, कांटे की टक्कर के आसार

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जौनपुर लोकसभा चुनाव में विकास के मुद्दे किसी काम नहीं रहते। यहां उम्मीदवारों की जीत हार जातिगत समीकरणों पर तय होती है। इस लोकसभा क्षेत्र का इतिहास देखें तो सभी पार्टियों ने जातिगत समीकरण को देखते हुए ही हर बार अपने प्रत्याशी उतारे हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में ओबीसी मतदाताओं की संख्या अधिक है। भाजपा की ओर से इस लोकसभा चुनाव में सवर्ण उम्मीदवार उतारा गया है। इसके जरिए भाजपा ने सवर्णों के साथ ही अपने पिछड़े वोट बैंक के साथ ही सवर्णों को साधकर जीतने का लक्ष्य रखा है।

जौनपुर लोकसभा सीट पर समय समय पर हर जाति के लोग जीते हैं। इसमें एक बार मुस्लिम प्रत्याशी ने भी बाजी मारी थी। बीते लोकसभा चुनाव 2019 में भी जातिगत समीकरण के चलते ही भाजपा को अपनी सीट गंवानी पड़ी थी। सपा-बसपा के महागठबंधन के वोट बैंक के जरिए करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी।

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जौनपुर लोकसभा सीट का अनुमानित जातिगत समीकरण

 

सवर्ण जातियों में

ब्राह्मण – 15.72 फीसदी

 

क्षत्रिय – 13.30 फीसदी

वैश्य – 5.1 फीसदी

 

कायस्थ – 2.5 फीसदी

अन्य – 1.82 फीसदी

 

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पिछड़े वर्ग में

 

यादव – 16.04 फीसदी

कुर्मी – 4.08 फीसदी

 

केवट – 3.95 फीसदी

गड़ेरिया – 1.4 फीसदी

 

मौर्या, राजभर व अन्य – 2.54 फीसदी

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अनुसूचित जाति – 14.10 फीसदी

अनुसूचित जनजाति – 5 फीसदी

अनुभव व शीर्ष नेतृत्व से नजदीकियां आईं काम

जौनपुर लोकसभा सीट के उम्मीदवार कृपाशंकर सिंह का भाजपा से कोई पुराना नाता नहीं रहा है। लेकिन उनके राजनीतिक अनुभव व भाजपा के शीर्ष नेताओं से नजदीकियां काम आईं। इसका परिणाम रहा कि भारतीय जनता पार्टी ने इन पर विश्वास जताया। दावेदारों की लंबी सूची के बाद भी शीर्ष नेतृत्व ने इन्हें उम्मीदवार बनाते हुए 2024 के दंगल में दाव खेला है। शायद पार्टी को पूरा भरोसा है कि कृपाशंकर जौनपुर लोकसभा के रण को जीतने में कामयाब होंगे।

विपक्षी दलों के उम्मीदवारों पर टिकीं निगाहें

भारतीय जनता पार्टी की ओर से शनिवार को टिकट जारी होने के बाद अब विपक्षी दलों की धड़कने तेज हो गई हैं। सभी की निगाहें अब उनके उम्मीदवारों पर टिकी हैं। जिले में भाजपा से कृपाशंकर सिंह को टिकट मिलने के बाद अब इंडिया गठबंधन से किसी सवर्ण को उम्मीदवार बनाने की चर्चा है। हालांकि लोगों के मुताबिक ओबीसी वर्ग के मत पर इस चुनाव में बड़ा उलटफेर होगा।

कांग्रेस और जनसंघ-भाजपा का दबदबा रहा है

जौनपुर लोकसभा चुनाव सीट पर कांग्रेस और जनसंघ-भाजपा का दबदबा रहा है। अब तक हुए चुनाव में दोनो पार्टियों के छह छह सांसद चुनकर दिल्ली पहुंचे है। इस सीट पर दो बार साईकिल चली है एक बार बसपा का परचम लहराया है। एक जनता पार्टी सेकूलर का झण्डा बुलंद हुआ है। यह वही सीट है जहां पर जनसंघ के संस्थापक प0 दीनदयाल उपाध्याय को जमीनी नेता कांग्रेस प्रत्याशी राजदेव सिंह ने करारी शिकस्त दिया था।

1952 आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बीरबल सिंह जीत करकर पहला सांसद होने का गौरव प्राप्त किया।
1957 चुनाव में पुनः बीरबल सिंह कांग्रेस के सांसद बने थे।
1962 चुनाव में इस सीट पर पहली बार जनसंघ के ब्रहमजीत सिंह जीते थे।
1963 में उप चुनाव हुआ। इस चुनाव में खुद जनसंघ के संस्थापक प0 दीनदयाल उपाध्याय मैदान में उतरे थे लेकि कांग्रेस प्रत्याशी व जमीनी नेता राजदेव सिंह ने उन्हे करारी शिकस्त दिया था। राजदेव सिंह जीत की हैट्रिक लगाते हुए 1967 और 1971 चुनाव जीतकर यह सीट कांग्रेस की झोली में डाला था।
1977 चुनाव में भारतीय लोकदल के प्रत्याशी राजा यादवेन्द्रदत्त दुबे जीतकर पहली बार सांसद बने थे।
1980 के चुनाव में जनता पार्टी सेकूलर के प्रत्याशी अजीजुल्लाह आजमीं जीते थे।
1984 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कमला प्रसाद सिंह जीते थे।
1989 में भारतीय जनता पार्टी के राजा जौनपुर पुनः जीतकर सांसद बने थे।
1991 चुनाव में जनता दल के अर्जुन यादव एमपी बने थे।
1996 चुनाव में एक बार फिर इस सीट पर कमल खिला इस बार राजकेशर सिंह सांसद चुने गये थे।
1998 में पहली बार इस सीट पर सपा का झण्डा लहराया था। समाजवादी पार्टी के पारसनाथ यादव पहली बार सांसद चुने गये थे।
1999 में भाजपा प्रत्याशी स्वामी चिन्मयानंद यह सीट सपा से छिनकर भाजपा की झोली में डाला। वे यह चुनाव जीतकर केन्द्रीय राज्यमंत्री मंत्री बने थे।
2004 लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी पारसनाथ यादव भाजपा प्रत्याशी को पटखनी देते हुए दूसरी बार इस सीट पर साईकिल चलाई थी।
2009 चुनाव में पहली बार बसपा का परचम लहराया था। इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी धनंजय सिंह ने सपा प्रत्याशी पारसनाथ यादव को हराया था।
2014 लोकसभा चुनाव में यह सीट एक बार फिर भाजपा के खाते में आ गयी। भाजपा प्रत्याशी के पी सिंह पहली बार सांसद चुने गये।
2019 लोकसभा चुनाव में बसपा सपा गठबंधन में बीएसपी के श्याम सिंह यादव जीते थे।

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