आरोपियों को पकड़ने में फेल साबित हो रही पुलिस, हत्या के एक हफ्ते के बाद भी नहीं हुई कोई गिरफ्तारी

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जौनपुर/ वाजिदपुर पत्रकारों के साथ आए दिन कोई न कोई घटना देखने को मिल ही जाता है lआएशा ही एक मामला जिले के वाजिदपुर का है मिली जानकारी के अनुसार बता दें कि पत्रकार एकता संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश कुमार शर्मा निवासी वाजिदपुर दक्षिणी के बेटे ऋषि शर्मा की लाश जमीन से लगी हुई संदिग्ध परिस्थितियों में मिली थी। इस घटना की जानकारी परिजनों को तब हुई जब उनकी बेटी शिवानी छत पर कपड़ा उतारने गई थी। पीड़ित पिता ने थाना अध्यक्ष लाइन बाजार को नामजद तहरीर देकर आरोप लगाया था कि संध्या पाल, प्रमोद व अन्य लोगों ने उनके बेटे ऋषि की हत्या की है। पीड़िता का कहना है की एक सप्ताह बीतने के बाद भी अभी तक आरोपियों की कोई गिरफ्तारी नहीं हुई l जबकि संध्या पाल को सूचना पर पहुंची पुलिस ने पूछताछ के लिए थाने ले जाकर छोड़ दिया। उक्त प्रकरण के बारे में पुलिस अधीक्षक से उनके सीयूजी नंबर पर कई बार फोन करके जानकारी लेने की कोशिश की गई l तो उनका फोन नहीं उठा। थाना अध्यक्ष लाइन बाजार के सीयूजी नंबर पर भी फोन करके जानकारी करने की कोशिश की गई तो उनका भी सीयूजी नंबर पर फोन रिसीव नहीं हुआ।

जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फरमान जारी किया है कि जिम्मेदार अधिकारी सीयूजी नंबर पर फोन जरूर उठाएं और जनता की समस्या सुने लेकिन मुख्यमंत्री की मंशा पर पुलिस अधीक्षक और थाना अध्यक्ष लाइन बाजार पानी फेरने का काम कर रहे हैं। सबसे बड़ी चिंता वाली बात यह है कि जब पुलिस विभाग के आला अधिकारी का फोन रिसीव नहीं होगा l तो इससे कोई बहुत बड़ी अप्रिय घटना घट सकती है और अपराध तथा अपराधीकरण को बढ़ावा मिलेगा। कप्तान की आम जनता की सुरक्षा और उन्हें न्याय दिलाने के प्रति इस घोर लापरवाही और उदासीनता से सीएम योगी की जीरो टॉलरेंस की नीति को करारा तमाचा लग रहा है। अपराधियों के हौसले पूरी तरह से बुलंद हो चुके हैं जिससे समाज में भय और अराजकता का माहौल उत्पन्न हो गया है। जनता न्याय के लिए त्राहि-त्राहि कर रही है और कार्यालय का चक्कर लगाकर थक जा रही है। सबसे बड़ी गंभीर बात तो यह है कि जब एक पत्रकार को न्याय नहीं मिल रहा है तो आम जनता को क्या खाक न्याय मिलेगा? इसके अलावा कई पत्रकारों के साथ अन्याय अत्याचार हुआ लेकिन पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी ने संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर दी हैं जिससे जनता न्याय की उम्मीद पूरी तरह से समाप्त कर चुकी है क्योंकि जनता भी यह जान चुकी है कि यदि पत्रकारों के साथ न्याय नहीं मिल पा रहा है तो वह जनता को न्याय दिलाने के लिए क्या कर सकते हैं? जिला प्रशासन द्वारा देश के चतुर्थ स्तंभ को गिराने का और पत्रकारों की कलम को दबाने का कुत्सित प्रयास लगातार जारी है।
अब देखना यह है की पीड़ित परिवार को इंसाफ कब मिलेगा l

के मास न्यूज नेटवर्क

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