नौजवान भारत सभा द्वारा बहादुरगंज में पोस्टर प्रदर्शनी तथा क्रांतिकारी साहित्य की प्रदर्शनी का किया गया आयोजन

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बहादुरगंज(गाज़ीपुर)/गाजीपुर जिला के कासिमाबाद तहसील अंतर्गत बहादुरगंज में शहीद स्मृति अभियान के तहत शहीदे आजम भगत सिंह के जन्म दिवस( 28 सितंबर1907) के अवसर पर नौजवान भारत सभा द्वारा बहादुरगंज में पोस्टर प्रदर्शनी तथा क्रांतिकारी साहित्य की प्रदर्शनी लगाई गई तथा पर्चे वितरित किए गएl लोगों को भगत सिंह तथा क्रांतिकारियों की विरासत से परिचित कराया गयाl हमें यह भी समझना होगा कि भगतसिंह जैसे क्रान्तिकारियों के विचारों को भारत के शासक वर्ग ने न सिर्फ़ धूल व राख के नीचे दबाने की घृणित साज़िश रची, बल्कि उनकी छवि बस बन्दूक़-पिस्तौल वाले नौजवानों की बना दी है। भगतसिंह और उनके साथियों ने बार-बार इस बात पर ज़ोर दिया था कि क्रान्तिकारी दस फ़ीसदी थैलीशाहों के लिए नहीं बल्कि नब्बे फ़ीसदी आम मेहनतकश जनता के लिए सच्ची आज़ादी और जनतंत्र हासिल करना चाहते हैं। अपने आख़िरी दिनों तक भगतसिंह गहरी पढ़ाई और सोच-विचार के बाद इस नतीजे पर पहुँच चुके थे कि इस मक़सद को चन्द बहादुर लोग हथियार उठाकर हासिल नहीं कर सकते, बल्कि इसके लिए करोड़ों मेहनतकश जनता को संगठित करना होगा। फाँसी की कोठरी से भेजे गये विद्यार्थियों के नाम पत्र में भगतसिंह ने लिखा था – “इस समय हम नौजवानों से यह नहीं कह सकते कि वे बम और पिस्तौल उठायें। आज विद्यार्थियों के सामने इससे भी महत्वपूर्ण काम हैं। नौजवानों को क्रान्ति का यह सन्देश देश के कोने-कोने में पहुँचाना है, फ़ैक्ट्री-कारख़ानों के क्षेत्रों में, गन्दी बस्तियों और गाँवों की जर्जर झोपड़ियों में रहने वाले करोड़ों लोगों में इस क्रान्ति की अलख जगानी है जिससे आज़ादी आयेगी और तब एक मनुष्य द्वारा दूसरे मनुष्य का शोषण असम्भव हो जायेगा।भगतसिंह और उनके साथियों का सपना एक जलता हुआ सवाल बनकर हमारी आँखों में झाँक रहा है, उनकी विरासत हमें ललकार रही है l

कासिमाबाद तहसील संवाददाता गौतम कुमार
के मास न्यूज

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