ठेकमा समूह की दीदियां अब चूड़ी निर्माण उधोग से आत्मनिर्भर बनेगी

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ठेकमा/निरंतर प्रयत्नशील कभी न हार मानने वाली उमंगों से भरी जज्बात मन मे हिलोरे ले तो व्यक्ति दसरथ मांझी की तरह विशाल पर्वत काट के भी रास्ता सुगम कर लेता है कुछ ऐसा ही ब्लॉक मिशन प्रबंधक अभिषेक़ कुमार के नेतृत्व में ठेकमा समूह के दीदियाँ कर दिखया है। वर्षो से बेड़ियों में जकड़े मातृशक्ति राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ग्रामीण उधमिता विकास कार्यक्रम के तहत फैंसी चूड़ी निर्माण का प्रशिक्षण लेकर भीरा में चूड़ी का निर्माण कर रही है और स्वालंबन आत्मनिर्भरता की मिशाल पेश कर रही है।
कृष्णा समूह ठेकमा के सुधा देवी कहती है पति के देहांत के उपरांत घर में दाने-दाने को मोहताज थें पर सामूहिक चूड़ी निर्माण विपणन से आय अर्जन डूबते हुए सूरज में भोर सुहानी की ओर अग्रसर की है। बिभिन्न प्रकार के फैंसी चूड़ियाँ बाजार में अच्छे दामों पर बिक जाती है तथा इसमे लागत शुल्क भी अधिक नहीं होता तथा माल खराब होने का भी खतरा नहीं रहता। स्वयं सहायता समूह से आर्थिक, सामाजिक, बौद्धिक बदलाव मानो जैसे तपते रेगिस्तान में सावन की मधुर फुहार से कम नहीं है।

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