सांस लेना भी दूभर, धूल और गर्द से सन रहे राहगीर

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आजमगढ़/मार्टीनगंज:अभी तक आपने “आंख में धूल झोंकना” मुहावरा सुना होगा लेकिन आपने ये नहीं सुना होगा कि आंख, नाक, कान में घुसती धूल, जी हां यह केवल कहने भर नहीं हैं बल्कि यदि आप प्रयोग करना चाहे तो एकबार मार्टीनगंज से होते हुवे सिकरौर बाजार तक चले जाएं। आपको केवल विश्वास ही नहीं बल्कि दृढ़ विश्वास हो जायेगा। मार्टीनगंज से सिकरौर तक बनते रोड पर कई महीनों से केवल धूल ही उड़ रही है। रोड का चौड़ीकरण हो गया है मशीनों के माध्यम से रोड का समतलीकरण भी हो चुका हैं लेकिन अभी तक डामरयुक्त गिट्टी नहीं गिर पा रही है। जिसके कारण रोड पर अत्यधिक कुहरा रूपी धूल भर जा रही है। रोड पर गाड़ियों के चलने से कभी कभी सामने से आते वाहन भी नहीं दिखाई देते।

कल दो वाहन टकराते–टकराते बचे। साइकिल और पैदल चलने वालो के चेहरे पर धूल की परत जम जा रही है। आखिर क्या कारण है कि रोड निर्माण को मध्यम में ही लाके छोड़ दिया गया है। स्थानीय लोगों की माने तो दिन भर चलते वाहनों की वजह से धूल घरों में घुस जाती है रोड के निकट रहने वाले लोगों ने यहां तक बताया कि धूल इतना अधिक उड़ती है कि कपड़ा धोकर हम दिन में नहीं सुखाते।

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