हंसराजपुर/गाजीपुर जिला के मनिहारी ब्लॉक अंतर्गत हंसराजपुर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के मैनेजर साहब की रंगबाजी देखने को मिल रही है। आप लोगों बताते चलें कि मैनेजर साहब अपने आप को किसी रंगबाज से कम नहीं समझते हैं, वे सभी लोगों को बैंक में सभी को मजदूर की तरह अपने पास आने को बोलते हैं,चाहे आप जो भी हो। इससे तो यह प्रतीत होता है कि बैंक मैनेजर साहब अपने आप को सबसे ऊपर समझते हैं। इन्होंने अपने ब्रांच में पैसा निकालने की पर्ची द्वारा पैसा देने के लिए मना कर रखा है। अगर बैंक से आपको अपने खाते से पैसा निकालना हो, तो उसके लिए आपको पहले चेक बुक लेनी होगी, इसके बाद ही आप केवल चेक बुक के द्वारा बैंक से पैसा निकाल सकते हैं अन्यथा आपको अपना ही पैसा बैंक से नहीं मिलेगा, ऐसा नियम मैनेजर साहब ने अपने बैंक में बना रखा है, ऐसा इस बैंक के जो ग्राहक एवं समूह की महिलाएं है, उन लोगों का कहना है। हमारे देश के प्रधानमंत्री जी का सख्त आदेश है, कि हर गांव के विकास के लिए स्वयं सहायता समूह को हर संभव सहायता दी जाए जिससे कि स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाएं अपना एवं अपने परिवार का विकास कर सकें, लेकिन प्रधानमंत्री जी के इस आदेश को भी मैनेजर साहब कुछ नहीं समझते हैं, उन्होंने स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को सीसीएल का पैसा समूह के खाते से निकाले से यह कहकर मना कर दिया कि जब तक आप लोग चेक बुक नहीं लेती तब तक पैसा नहीं निकाल सकती हैं। महिलाएं यह कहती रही कि सीसीएल का पैसा जिस दिन से हमारे समुह के खाते में आया है, उस पर ब्याज लग रहा है, जबकि हमलोग पैसे का उपयोग नहीं कर रही है, आपने पहले कहा कि आप लोग बैठक में प्रस्ताव बनाकर लायेंगी तो आप लोगों को पैसा मिल जाएगा, लेकिन जब हम लोग प्रस्ताव लेकर आई है, तो अब आप कह रहे हैं कि केवल चेक बुक से पैसा उतरेगा अन्यथा नहीं उतरेगा। इस तरह से हम लोगों पर अनायास ब्याज बढ़ रहा है। अब इस तरह से चेकबुक आने में 15 से 20 दिन लगेगा। अगर पैसा केवल चेक से ही निकालना था, तो समुह के नाम से पहले चेक बुक देकर उसमें सीसीएल का पैसा भेजना चाहिए था, जिससे समुह की महिलाओं को परेशान नहीं होना पड़ता। इतना ही नहीं बैंक मैनेजर साहब ने समुह को यह भी बताना मुनासिब नहीं समझा कि समुह की महिला इस लोन के पैसे को समुह के खाते में या किसी और खाते में जमा करेगी और न ही कोई लिखित पेपर दिया जिसमें लिखा हो कि कितना ब्याज लगेगा और कहा पैसा जमा करके इस लोन को चुकता किया जा सकता है। जब इसके संदर्भ में एक पत्रकार ने मैनेजर साहब से बात करनी चाही, तो उन्होंने कहा कि आप कौन होते हैं बात करने वाले मैं समुह के लोगों से बात कर लुंगा आप बाहर जाइए। मैनेजर साहब जब संविधान का चौथा स्तंभ कहें जाने वाले पत्रकार के साथ ऐसा व्यवहार कर सकते हैं, तो आम जनता के साथ उनका व्यवहार कैसा होगा। अब ऐसे में देखना है, कि आखिर किसके कहने से मैनेजर साहब ऐसा कार्य कर रहे हैं।
जय प्रकाश चंद्रा
ब्यूरो चीफ, के मास न्यूज, गाजीपुर