अंबेडकरनगर
दीन का जज्बा बड़ो के साथ बच्चों में भी कम नहीं है । तभी तो रमजान के शुरू होते ही बड़ों के साथ बच्चों ने भी इस रमजान का पहला रोजा रखा इन मे से कई का उन की जिंदगी का पहला रोजा था। सोमवार को चांद निकलने के बाद रात में सोने से पहले बच्चों ने अपनी मां और बड़ो से वादा लिया कि वो उन्हें सेहरी में जगा देंगी। सेहरी के बाद नन्हे रोजेदारों ने हिम्मत बांध कर भूख प्यास की परवाह किये बगैर दिन भर रोजा रख के शाम को बड़ो के साथ इफ्तार की तो उन के मां बाप की खुशी का ठिकाना न रहा और दुवाएं दी। न्यौरी निवासी अनीस मसूदी की( 7) सात साल की बेटी उम्मे सलमा ने अपनी जिंदगी का पहला रोजा रखा। छोटी सी उम्र में जब पूरा दिन भूखा प्यासा रह कर नन्ही उम्मे सलमा ने खजूर से इफ्तार की तो पिता अनीस मसूदी ,दादा शरीफ मसूदी की आंखे भर आईं और सभी उम्मे सलमा को तोहफे और ढेरो दुवाएं दीं। उम्मे सलमा के बडे अब्बू रईस मसूदी, भाई मो.अहमद, मो.अमीन एवं बहन उम्मे कुलसुम नन्ही उम्मेसल्मा को दुवाएं दी। इसी तरह आठ साल के मो.आकिब, 11 वर्ष के शारैन, एबाद खान, मो. आबिद तो वही सकरा दक्षिण निवासी इसरार अहमद की आठ साल की पुत्री अलीशा एवम इजहार अहमद के 7 साल के लडके मो जीशान ने भी जिंदगी के पहले रोजे रखे। इसी तरह कई अन्य बच्चों ने रमजान का पहला रोजा रखा।