गाजीपुर। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना “आवास प्लस-2024” के तहत सेल्फ सर्वे कार्य में लापरवाही बरतना सात खंड विकास अधिकारियों (बी.डी.ओ.) को भारी पड़ गया है। परियोजना निदेशक राजेश यादव ने कार्रवाई करते हुए इन अधिकारियों का वेतन तत्काल प्रभाव से रोकने का आदेश जारी किया, जिससे प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। आपको बता दें, कि भारत सरकार के निर्देशानुसार सभी बी.डी.ओ. को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया गया था, कि उनके क्षेत्र में सर्वेयर द्वारा लाभार्थियों का 100 प्रतिशत सत्यापन कराया जाए। परंतु सादात, जखनियां, मरदह, जमानियां, मनिहारी, सैदपुर और देवकली विकासखंडों की प्रगति औसत जिला प्रगति 28.39% से भी कम पाई गई। वहीं, चेकर (सत्यापनकर्ता) की प्रगति तो शून्य रही। इससे यह स्पष्ट हुआ, कि संबंधित बीडीओ ने न तो सर्वेयर से प्रभावी कार्य कराया और न ही कार्य की समीक्षा की। नतीजतन, पूरे जनपद की प्रगति प्रभावित हुई, जिस पर 26 जून 2025 को ग्राम्य विकास आयुक्त, उत्तर प्रदेश, लखनऊ ने फोन पर गहरी नाराजगी जाहिर की। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए परियोजना निदेशक ने सख्त रुख अपनाते हुए सात खंड विकास अधिकारियों भीमराव प्रसाद (सादात), संजय कुमार गुप्ता (जखनियां), कौस्तुभ मणि पाठक (मरदह), बृजेश अस्थाना (जमानियां), अरविंद कुमार यादव (मनिहारी), धर्मेंद्र कुमार यादव (सैदपुर) और जमालुद्दीन (देवकली) का वेतन रोकने का निर्देश दिया। साथ ही स्पष्ट चेतावनी दी गई है, कि यदि कार्य में शीघ्र सुधार नहीं हुआ, तो इनके विरुद्ध कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। जहा एक तरफ केंद्र सरकार की योजनाओं को गति देने की कवायद चल रही है, वहीं दूसरी ओर लापरवाह अफसरशाही न केवल प्रगति को रोक रही है, बल्कि जनता के विश्वास को भी ठेस पहुंचा रही है। ऐसे में यह कार्रवाई एक जरूरी संदेश देती है, कि लापरवाही अब नहीं चलेगी।
जयप्रकाश चंद्रा, ब्यूरो चीफ गाजीपुर
            
		







