आजमगढ़,ठेकमा 14 सितंबर हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में ठेकमा के ब्लॉक मिशन प्रबंधक अभिषेक़ कुमार ने आव्हान किया कि हिंदी भाषा भारत माता की हृदय की आवाज है, हिंदी हर भारतीयों को जन-जन की भाषा है इसे आज ही के दिन 1949 में संविधान सभा ने सर्व सम्मति से पारित किया था तथा सरकार एवं राष्ट्र की भाषा हिंदी अधिकारीक तौर पर अपनाई थी।
इस क्षेत्र में सभी को योगदान अपेक्षित है। मातृ भाषा में सभी व्यक्ति सहज एवं सीखने समझने की संभावना अधिक रहती है।
पश्चमी सभ्यता का प्रभाव दिन प्रतिदिन अत्यधिक होने के कारण जो भारतीयों की आदत में सुमार थी हिंदी साहित्य लेखन तथा पढ़ना वो धीरे-धीरे समाप्ति के कगार पर है। हिंदी साहित्य सदा से ही मानसिक मनोवृति बदलाव में गहरा छाप छोड़ा है, पुस्तके मन की अज्ञानता दूर भगाने के साथ-साथ मन की गंदगी को साबुन की समान साफ और निर्मल बना देती है। हिंदी के ही व्यापक प्रचार-प्रसार तथा इस्तेमाल से राष्ट्र सशक्त एवं मजबूत होगा कारण की समस्त जनसमुदायों की भागीदारी होगी। जन्म से ही मन पर जिस भाषा का प्रथम प्रभाव होता है आजीवन वही भाषा में वह मजबूत होता है तथा उसी भाषा में समझने एवं राष्ट्र को सहयोग करने के समर्थ रखता है। कई भाषाओं का ज्ञान समाहित कर लेना एवं हुनर लाखों में चंद व्यक्तियों को होती है सभी को नहीं।
अतः इस हिंदी दिवस पर संकल्प लें हिंदी को मुख्य भाषा के रूप में अपनाएं तथा हिंदी साहित्य पढ़ना, लेखनी को अपने अंदर पुनर्जीवित करें।
रिंकू चौहान