गोसाईगंज थाने में जातिगत अपमान और धमकी की अनदेखी पर भड़की चमार महासभा, डीएम कुमार हर्ष ने दिया कार्यवाही का आदेश
सुलतानपुर
सुलतानपुर जिले के थाना गोसाईगंज क्षेत्र अंतर्गत फतेहपुर संगत गांव में बीते 19 जुलाई को डॉक्टर अनिल कुमार गौतम के साथ हुई जातिगत बदसलूकी और फसल जोताई की घटना अब तूल पकड़ती जा रही है। इस प्रकरण में लापरवाह पुलिस रवैये से क्षुब्ध होकर भारतीय चमार महासभा के प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को जिलाधिकारी कुमार हर्ष से मुलाकात की और पूरे मामले से अवगत कराते हुए न्याय की मांग की।
दरअसल 19 जुलाई की सुबह लगभग 8 बजे अनिल कुमार गौतम की फसल को जबरन जोतने का आरोप गांव के ही ध्रुव बरनवाल उर्फ अम्मू पर है। पीड़ित का दावा है कि जब उन्होंने मौके पर जाकर इसका विरोध किया, तो उन्हें जातिसूचक गालियां दी गईं और जान से मारने की धमकी दी गई। हालात इतने बिगड़ गए कि उन्हें डायल 112 पर कॉल कर पुलिस को बुलाना पड़ा। पुलिस मौके पर तो पहुंची, लेकिन पीड़ित को थाने बुलाकर कोई ठोस कार्रवाई किए बिना ही लौट गई। चौंकाने वाली बात यह है कि अनिल कुमार ने इस मामले की शिकायत न सिर्फ गोसाईगंज थाना प्रभारी से की, बल्कि पुलिस अधीक्षक तक से कर डाली बावजूद इसके अब तक पुलिस की ओर से कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गई। उलटे, पीड़ित का आरोप है कि थाने में उन्हें अपमानित कर भगा दिया गया।
इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी मिलने और पीड़ित द्वारा न्याय की गुहार लगाने पर भारतीय चमार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय राणा चमार के तत्काल संज्ञान लिया और एक प्रतिनिधि मंडल का गठन किया, जिसके बाद राष्ट्रीय प्रवक्ता एड. तिलकधारी गौतम के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल जिलाधिकारी सुलतानपुर से मिला। प्रतिनिधिमंडल ने डीएम को ज्ञापन सौंपते हुए पुलिस की निष्क्रियता और जातिगत भेदभाव को लेकर गहरी चिंता जताई। जिलाधिकारी कुमार हर्ष ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल कार्यवाही के निर्देश दिए और आश्वासन दिया कि दोषियों के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई की जाएगी।
प्रतिनिधिमंडल में कार्यवाहक जिलाध्यक्ष लल्लन कुमार, राष्ट्रीय सचिव निसार अहमद अंसारी, प्रदेश मीडिया प्रभारी अनिल कुमार, ध्रुव नारायण विश्वकर्मा राष्ट्रीय महासचिव सहित कई अन्य वरिष्ठ सदस्य मौजूद रहे। यह घटना न सिर्फ दलित समाज की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े करती है, बल्कि पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। अब देखना यह होगा कि डीएम के संज्ञान में आने के बाद इस मामले में पीड़ित को न्याय मिल पाता है या नहीं।