अंबेडकरनगर 02 अगस्त 2022
गहनागन बाबा की स्थापना 1984 में ऋग्वेद द्वारा की गई थी। इनके पुजारी चंद्रशेखर द्विवेदी जो कि केंद्रीय उपभोक्ता भंडार में नौकरी करते थे जिन्होंने नौकरी छोड़कर कर बीकापुर तहसील क्षेत्र में अस्तिकांन गहनागन बाबा जी के यहां पूजा पाठ करने लगे। मान्यता है कि वहां पर जिसको भी सांप काट लेता हैं वहां जाने के बाद ठीक हो जाता है। इससे प्रभावित होकर इनके मन में भी एक विचार आया कि हमारे यहां भी सांप काटने से हर साल सैंकड़ों लोगों की मृत्यु हो जाती है क्यों न बाबा को अपने यहां ले आएं। बस इसी बात को लेकर बाबा चंद्रशेखर दिवेदी जी कठोर तप करने लगे इससे कही न कही उनको ज्ञान प्राप्त हुआ और वहां के पुजारी ने अपने शिष्य को गहनागन बाबा को उनके यहां स्थापित करने के लिए एक शर्त रखी कि जो में आपको दे रहा हूं जहां आपको उसको रख दोगे वहां गहनागन बाबा स्थापित हो जायेंगे मुट्ठी भी नहीं खोलना है। अब बाबा जी के लिए कठोर परीक्षा थी कि गहनागन बाबा को अपने यहां स्थापित करना है वे बिना कही रुके व यहां तक कि नित्य क्रिया भी नही किए अपने गांव के रोड के किनारे जमीन में स्थापित किए। पुजारी चंद्रशेखर द्विवेदी जी का पिछली साल स्वर्गवास हो गया। गहनगन बाबा के आशीर्वाद से हजारों की संख्या में लोगों की जान बची है। नागपंचमी के खास मौके पर भारी संख्या में लोग दूध लावा चढ़ाते हैं। नागपंचमी के मौके पर खास मेला लगता है। जिसकी सुरक्षा जैतपुर थाना प्रभारी विवेक वर्मा भारी पुलिस बल के साथ मौजूद रहे। तीन दशक से साप काटे हुए लोगो की अनगिनत लोगो की जान यहां से बची है। लेकिन किसी नेता चाहे सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का उसकी नजर नही पड़ी। लोगो का आस्था का द्वार है जहां पर लोग बेहोशी की हालत पर आते हैं और अपने पैरों से चल कर जाते है। ऐसे बाबा के स्थान की सौंदर्यकरण के लिए कोई आगे नही आया। लोग घास फूस और गंदे पानी जमा होने के बावजूद पूजा पाठ करने आते हैं। अब देखना है कि सरकार की नजर कब पड़ती है।
इसरार अहमद की रिपोर्ट