नागपुर जेल से 19 साल बाद एहतेशाम सिद्दीकी जेल से हुए रिहा

0
6

 

 

उत्तर प्रदेश/जौनपुर

मुंबई लोकल ट्रेन ब्लास्ट में जौनपुर के एहतेशाम सिद्दीकी फांसी की सजा से बरी होने वाले पहले शख्स जब जेल गए तब 24 साल के थे शादी को सिर्फ 6 महीने हुए थे 19 साल जेल में बिताने के बाद 43 साल की उम्र में एहतेशाम सिद्दीकी जौनपुर जिले खेतासराय के अपने मनेछा गांव में पहुंचे।21 जुलाई नागपुर जेल से रिहा होते ही फ्लाइट से मुंबई पहुंचे।वहां एक दिन रुके और 23 को फ्लाइट से वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचे।वहां उन्हें रिसीव करने उनकी मां पहुंची पिता बीमार थे इसीलिए नहीं पहुंच पाए उनकी रिहाई पर पूरे गांव में जश्न मना रहे हैं। मिठाई बाटी गई एहतेशाम पहुंचने पर उन्हें देखने लोग पहुंचे उनकी पत्नी की खुशी से आंसू नहीं रुक रहे उन्हें अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करनी है।एहतेशाम सिद्दीकी ने बताया मैंने जौनपुर में 1996 में हाई स्कूल और 1998 में इंटर की परीक्षा पास की इसके बाद हायर एजुकेशन के लिए 1998 में मुंबई चला गया। वहां मुंबई के एक कॉलेज में केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए एडमिशन ले लिया। 2001 में मेरा पांचवा सेमेस्टर चल रहा था मुंबई के कुर्ला में सिमी( स्टूडेंट इस्लामिया मूवमेंटऑफ इंडिया) द्वारा चलाई जा रही लाइब्रेरी में मैं पढ़ाई करता था। यह लाइब्रेरी संगठन द्वारा चलाई जा रही थी। इस बात का मुझे पता नहीं था मैं लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ाई कर रहा था तभी मुझे पहली बार गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के दूसरे दिन ही कोर्ट ने इस मामले में बेल दे दी और केस चलता रहा पुलिस ने इस गिरफ्तारी के आधार बना कर 2006में मुंबई ब्लास्ट कांड में मुझे आरोपी बनाया था।परिवार के लोगों ने शुरू से मेरा साथ दिया सबसे पहले अपने परिवार को सब सच-सच बताया मेरे लिए सबसे जरूरी था उनका मेरे ऊपर भरोसा था इसके बाद मेरे माता-पिता और भाई-बहन और पत्नी ने शुरू से मेरा साथ दिया कभी किसी ने इस बात पर भरोसा नहीं किया कि मैं ऐसा कुछ कर सकता हूं इन लोगों के भरोसे के करण मुझे ताकत मिली।अपनी पत्नी सबीना को सैल्यूट करूंगा। मैं जब जेल गया उससे 6 महीने पहले ही मेरी शादी हुई थी माता-पिता के पास छोड़कर गया था अचानक इस तरह से मुझे जेल जाना पड़ा वह चाहती तो घर छोड़कर नई जिंदगी शुरुआत कर सकती थी लेकिन उन्होंने मेरे पर हमेशा भरोसा जताया जब जेल में मुझे मिलने आई थी तो कहती थी कि कितनी भी दिक्कत आए तो आपने जब कुछ नहीं किया है। जरूर रिहा होंगे आज भी उनके भरोसे के जीत हुई है। अब मैं काम करके आगे की जिंदगी के बारे में सोचूंगा।

 

सब ब्यूरो जौनपुर संजय कुमार की रिपोर्ट

In

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

one × 4 =