लोक सभा 38 सुलतानपुर सीट बनी प्रतिष्ठा की सीट त्रिकोणीय मुकाबले की लड़ाई में पिछड़ती दिख रही

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भाजपा के अनकूल नहीं दिख रहा सुलतानपुर का जातीय समीकरण
सुलतानपुर 38 लोक सभा सुलतानपुर प्रतिष्ठापूर्ण संसदीय क्षेत्र सुल्तानपुर में चुनाव प्रचार अपने चरमोत्कर्ष पर है जहां प्रमुख राजनीतिक दल सपा-भाजपा-बसपा दल के प्रमुख नेताओं ने अपनी पूरी ताकत झोंक प्रत्याशियों को जिताने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं छोड़ रखा है गौरतलब है।कि सुल्तानपुर संसदीय क्षेत्र में सर्वाधिक आबादी दलित, पिछड़े व अल्पसंख्यक समुदाय की है दूसरी तरफ सवर्णों में सर्वाधिक आबादी ब्राह्मण समुदाय की है जहां कभी हिंदू मुस्लिम बाद तो कभी क्षत्रिय बनाम ब्राह्मणवाद के मध्य चुनाव होते रहे हैं दो ध्रुवो के बीच बनते बिगड़ते समीकरण में दलित पिछड़ा व अल्पसंख्यक समुदाय कभी इस पाले में तो कभी उसे पाले की नैयापार कर लगाता रहा है परिणाम स्वरुप क्षत्रिय ब्राह्मण व अल्पसंख्यक समुदाय के कद्दावर नेताओं की भरमार है तो दूसरी तरफ दलित व पिछड़े समुदाय के नेतृत्व करने वाले नेताओं का अभाव सूत्रोनुसार सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पीडीए का नारा बुलंद करते हुए सुल्तानपुर में छुटभैये नेताओं का नब्ज टटोलना शुरू किया तो कोई नेता खरा नहीं उतर सका मजबूरन दवे कुचले समुदाय का आवाज बुलंद करते हुए निषाद समुदाय के प्रत्याशी अंबेडकर नगर के निवासी भीम निषाद पर दाव लगाया जिन पर रुपए की गड्डी को लेकर आचार्य चुनाव संहिता के आरोप के चलते गोरखपुर के राम भुवाल निषाद को भाजपा की कद्दावर प्रत्याशी मेनका गांधी के खिलाफ मैदान में उतार कर भाजपा की मुसीबत बढ़ा दी तो दूसरी तरफ बसपा ने अपना प्रत्याशी उदयराज वर्मा को उतार कर रही-सही कसर पूरी कर दी| सूत्रों की माने तो इस बार सपा-भाजपा- बसपा के मध्य त्रिकोणीय मुकाबले की टक्कर है राजनीतिज्ञों के अनुसार भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है वहीं आठ बार सांसद पहुंचने वाली मेनका गांधी को मौजूदा मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला तो बेटे वरुण को भाजपा के स्टार प्रचारक सूची से हटाया ही नही बल्कि टिकट भी नहीं दिया गया ऐसे में घुटन महसूस कर रही मेनका गांधी को बड़े पशो-पेश के बाद तीन टिकट की शर्तों की जगह स्वयं को एक टिकट पर ही संतोष करना पड़ा| टिकट के उपरांत स्थानीय भाजपा नेताओं में उभरे गुट-बंदियो से जूझने के साथ उभरे जातीय समीकरण में उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ रही है| दिन-रात एक करके चुनावी रंगों का परवान चढ़ाने की कोशिश कर रही थी कि मेनका का चिरप्रतिद्वंदी चंद्रभद्र सिंह उर्फ सोनू सिंह ने एन मौके पर पाला बदल सपा का दामन थाम राजनीतिक परिदृश्य को ही बदल दिया बीते चुनाव में दलित पिछड़े मतदाता की बड़ी संख्या में भाजपा की तरफ उन्मुख रहे इस बार उनका मोह भंग होने से वह इंडिया गठबंधन की तरफ मुड़ रहे हैं बसपा मुखिया मायावती ने नजाकत को भापते हुए दलित पिछड़ा कार्ड खेल दिया।पिछड़े समुदाय के स्थानीय प्रत्याशी उदयराज वर्मा पर भरोसा बताया जिसके चलते त्रिकोणीय मुकाबला हो गया । वहीं दूसरी तरफ सपा प्रत्याशी राम भुवाल निषाद को इंडिया गठबंधन के चलते स्वजातिये मतों के साथ सपा का परंपरागत मत यादव मुस्लिम व अन्यपिछड़े समुदाय के मतों के साथ संविधान की रक्षा के नाम पर बड़ी संख्या में दलित मतों का ध्रुवीकरण होने से रोचक मुकाबला बन गया है| सूत्र के अनुसार भाजपा के विरोधी मतों का ध्रुवीकरण सपा के पक्ष में दिखाई देने से भाजपा प्रत्याशी मेनका संजय गांधी को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ रहा है ऐसे में ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो समय बताएगा |

के मास न्यूज सुलतानपुर

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