मुड़िला/कादीपुर
महाराष्ट्र/ मुंबई के 19 साल का अरनव खैरे ने लोकल ट्रेन में उसने बस हिंदी में इतना कहा,”भाई थोड़ा आगे बढ़ो “?? इसके बाद कुछ लोगों ने उसे इसलिए पीटा, क्योंकि वह हिंदी बोल रहा था. जबकि अरनव खैरे खुद मराठी है।अपमान और सदमे में उसने परीक्षा बीच में छोड़ दी। घर आया और अपनी जान ले ली। एक मामूली-सी लाइन, एक सामान्य-सी भाषा, और इतनी नफ़रत कि एक नौजवान की जिंदगी ख़त्म हो गई। यह महाराष्ट्र की पहचान नहीं हो सकती. यह भाषा का अभिमान नहीं, इंसानियत का पतन है । क्या यही महाराष्ट्र चाहिए था. जहां भाषा की राजनीति ने एक मराठी बच्चे की जान ले ली।।महाराष्ट्र में हिंदी बोलने पर इतना कठोर वाला व्यवहार जोकि भारत की मुख्य भाषा हिंदी है।
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