सुल्तानपुर-
सरकार द्वारा आयोजित स्वतंत्रता दिवस के अमृत महोत्सव पर घर-घर झंडे लगाने के अभियान के साथ सभी इंडिया मार्का हैंडपंपों की भी रंगाई की गई। जिसमें खंभों के भी पेन्टिग की गई। हैंडपंपों को राष्ट्रीय ध्वज का लुक देने के लिए उसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में निरूपित किया गया।उसे केसरिया सफेद और हरे रंग में पेंटिंग किया गया। किंतु उस राष्ट्रीय ध्वज में स्थित अशोक चक्र को गायब कर दिया गया। जब तक राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र नहीं रखा जाता तब तक राष्ट्रीय ध्वज भारत का है यह साबित नहीं हो पाता। यह सरकार की भूल कहीं जाए या सरकार की साजिश क्योंकि जिस राष्ट्रीय ध्वज के अंदर 24 तीलियों का अशोक चक्र नहीं हो वह भारत का राष्ट्रीय ध्वज नहीं हो सकता । यह किसी दूसरे राष्ट्र का हो सकता है। और इस राष्ट्रीय ध्वज को सम्मान देने के लिए सरकार को उस राष्ट्रध्वज के अंदर अशोक चक्र रखना अनिवार्य है ।अन्यथा यह लोगों को मानसिक गुलाम बनाने का सरकार की एक सोची समझी साजिश कही जा सकती है। भारतीय राष्ट्रध्वज की बनावट सन 1947 में 22 जुलाई को संविधानकारी सभा द्वारा अंगीकृत किया गया था। आज राष्ट्रीय ध्वज की धज्जियां उड़ रही हैं। यह सरासर देश का अपमान है।
के मास न्यूज़ सुल्तानपुर