तमसा, मड़हा और विसुही नदियों की तबाही में फंसी जनता

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अंबेडकरनगर
लोकतंत्र के उत्सव में सहभागी बनने चली जनता के दिल में उपेक्षा की टीस फिर से ताजा हुई है। मतदाताओं की दहलीज पर वोट के लिए चक्कर काटते नेताओं ने कटेहरी विधानसभा क्षेत्र में बसी जनता की दुश्वारियों पर कभी ध्यान नहीं दिया। देश को आजादी मिली, लेकिन इन्हें मुसीबतों से छुटकारा नहीं मिल सका। तमसा, मड़हा और विसुही नदियों के बीच बसी आबादी को प्रत्येक वर्ष बाढ़ की विभीषिका झेलनी पड़ती है। विसुही नदी के अताउल्ला नाऊपुर घाट एवं बड़ेरिया घाट पर पक्के पुल की मांग साढ़े चार दशक पुरानी है। प्रत्याशियों ने निदान का खोखला वादा किया। यहां के मतदाताओं ने चार-चार कैबिनेट मंत्री भी दिया।यह समस्या विधानसभा में भी गूंजी। इसके बावजूद यह आज तक चुनावी मुद्दा नहीं बन सका। इन स्थानों से डेढ़ सौ अधिक गांव के लोगों के अलावा अन्य जिले के नागरिक प्रतिदिन जान जोखिम में डाल आवागमन करते हैं। सबसे अधिक परेशानी बरसात में होती है। उक्त पुल नदी के पानी में डूबने से चार महीने आवागमन बंद हो जाता है। लोगों को 50 मीटर की दूरी पांच से दस किलोमीटर चलकर तय करनी पड़ती है। रेलिग नहीं होने व पानी के बीच से आवागमन करने के दौरान कई घटनाएं पूर्व में हो चुकी हैं। इनमें कई लोगों की जान गई तो घायल भी कम नहीं हुए। कुछ साल पहले तक बरसात में सरकारी नाव मिलती थी। करीब पांच वर्ष से नाव मिलनी बंद हो गई। इससे नदी पार कर अपने खेतों तक पहुंचने में स्थानीय किसानों को समस्या होती है।आबादी व फसलें होतीं तबाह : तीनों छोटी नदियों के छिछले होने से बारिश का पानी हर साल उफना कर आबादी और फसलों को बर्बाद कर देता है। बीते बारिश के मौसम में तमसा नदी के उफान से कटेहरी, अकबरपुर व जलालपुर तहसील के दर्जनों गांव प्रभावित हुए थे। जिला मुख्यालय के हृदयस्थल शहजादपुर में बाढ़ का पानी भरने से करोड़ों का नुकसान हुआ था। गांवों में किसानों के घर और फसलें बर्बाद हुई थीं। नेताओं को जनता की इस समस्या के निदान की सुधि नहीं है।खोजातपुर गांव के ब्रह्मदेव तिवारी कहते हैं कि जनप्रतिनिधि वादा कर वोट लेने के बाद उसे धरातल पर उतारना भूल जाते हैं। महरुआ के नीरज सिंह कहते हैं कि कटेहरी क्षेत्र में अभी तक इन प्रमुख समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया गया। बड़ेरिया गांव के अमरनाथ कहते हैं कि चुनाव के समय पुल मुद्दा बन सकता है। इनके निर्माण से क्षेत्र का कायाकल्प और विकास हो सकता है। आशाजीतपुर के मोहित पांडेय कहते हैं कि पुल क्षेत्रवासियों को आपस में जोड़ते हैं। इनका निर्माण आवश्यक है। अभी तक पुलों का नहीं बनना दुर्भाग्यपूर्ण है।

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