मराठा आरक्षण को लेकर ,महाराष्ट्र में भूख हड़ताल शुरू एक युवक ने गवाई जान 

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मराठा आरक्षण को लेकर महाराष्ट्र में आज से भूख हड़ताल (Hunger Strike for Maratha Reservation) शुरू की जा रही है. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने आज से भूख हड़ताल की घोषणा की है. मनोज जरांगे ने कहा कि महाराष्ट्र के कई हिस्सों में भूख हड़ताल शुरू की जाएगी. इस बीच मराठा आरक्षण को लेकर एक और युवक ने सुसाइड कर ली. पिछले कुछ दिनों में सुसाइड की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन अनशन कर रहे कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने कहा कि यदि सरकार तुरंत आरक्षण नहीं देती है, तो 29 अक्टूबर से महाराष्ट्र के हर गांव में भूख हड़ताल शुरू की जायेगी. जरांगे ने कहा कि यदि विरोध प्रदर्शन के दौरान अनशन पर बैठे प्रदर्शनकारियों को कोई नुकसान होता है, तो इसके लिए सरकार जिम्मेदार होगी

आरक्षण आंदोलन का दूसरा चरण शुरू: जालना जिले के अंतरवाली सराटी गांव में मीडिया को संबोधित करते हुए जरांगे ने घोषणा की कि आरक्षण आंदोलन का दूसरा चरण शुरू हो गया है और तीसरा चरण 31 अक्टूबर को शुरू होगा. जरांगे के अनशन के चौथे दिन जालना के जिलाधिकारी श्री कृष्ण पांचाल और पुलिस अधीक्षक शैलेश बालकवड़े ने उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी लेने के लिए उनसे मुलाकात की. जरांगे (40) ने चिकित्सकों द्वारा स्वास्थ्य की जांच करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘‘29 अक्टूबर से महाराष्ट्र के हर गांव में भूख हड़ताल, आमरण अनशन की अनवरत शृंखला शुरू की जायेगी. सरकार को इस आंदोलन को गंभीरता से लेना चाहिए और आंदोलनकारी मराठों के दृढ़ संकल्प को कम नहीं आंकना चाहिए.’’

आरक्षण की घोषणा करने का अल्टीमेटम: जरांगे ने 25 अक्टूबर को अपनी भूख हड़ताल का दूसरा चरण शुरू किया, जिसके एक दिन बाद राज्य सरकार ने उन्हें ओबीसी श्रेणी के तहत नौकरियों और शिक्षा में मराठों के लिए आरक्षण की घोषणा करने का ‘‘अल्टीमेटम’’ दिया था. उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के आश्वासन पर इसे वापस लेने से पहले 29 अगस्त से 14 सितंबर तक उसी गांव में 14 दिन तक अनशन किया था. जरांगे ने कहा कि आंदोलन का तीसरा चरण 31 अक्टूबर को शुरू होगा और 30 अक्टूबर को इस संबंध में विस्तृत जानकारी दी जायेगी. उन्होंने दोहराया कि सत्तारूढ़ दलों के साथ-साथ विपक्ष के राजनीतिक नेताओं को गांवों में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. `उन्होंने कहा, ‘‘हमारे बच्चों को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, वह मेरे शारीरिक कष्ट से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हैं.’’

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