नई दिल्ली : भारत में हाल के वर्षों में पुल ढहने के सबसे भीषण मामलों में से एक का सामना कर रहे गुजरात के मोरबी में केबल पुल टूट जाने से 134 लोगों की जान चली गई. बीते कुछ वर्षों में देश में कई पुल हादसे हुए जिनमें से कुछ प्रमुख पर एक नजर डालते हैं.अंतरराष्ट्रीय जर्नल ‘स्ट्रक्चर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर इंजीनियरिंग’ में प्रकाशित 2020 के एक अध्ययन ‘भारत में 1977 से 2017 तक पुल की विफलताओं का विश्लेषण’ के अनुसार, पुलिया और पैदल यात्रियों के लिए पुलों को छोड़कर, “2,130 पुल” पिछले चार दशकों में निर्माण के विभिन्न चरणों के दौरान ढह गए या इच्छित सेवा प्रदान करने में नाकाम रहे. 1. दार्जीलिंग- पैदल पुल हादसा (2011) : 22 अक्टूबर, 2011 को दार्जीलिंग जिले के बिजनबाड़ी में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) की बैठक के दौरान भीड़ के दबाव में एक झरने के ऊपर बने लकड़ी के एक पुराने पैदल पार पथ गिरने से 32 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक घायल हो गए. 2. अरुणाचल प्रदेश- पैदल पुल हादसा (2011) : दार्जीलिंग में हुए पुल हादसे के ठीक एक हफ्ते बाद अरुणाचल प्रदेश में कामेंग नदी पर एक पैदल पारपथ 29 अक्टूबर, 2011 को ढह गया. यह हादसा तब हुआ जब 63 लोग स्थानीय कीट ‘तारी’ को पकड़ने के लिए पुल के ऊपर थे. इस हादसे में कम से कम 30 लोगों की जान गई थी जिसमें अधिकतर बच्चे थे. 3. कोलकाता-विवेकानंद फ्लाइओवर हादसा (2016) : उत्तरी कोलकाता के भीड़भार वाले बाजार के इलाके में 2.2 किलोमीटर लंबे निर्माणाधीन विवेकानंद फ्लाइओवर को ढह जाने से 26 लोगों की मौत हो गई जबकि 60 से ज्यादा लोग घायल हुए. 4. कोलकाता- माजेरहाट फ्लाइओवर हादसा (2018) : दक्षिण कोलकाता में स्थित 50 साल से ज्यादा पुराना माजेरहाट पुल भारी बारिश के बाद चार सितंबर 2018 को ढह गया. इस हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई जबकि 24 अन्य घायल हो गए. 5. मुंबई पैदल पारपथ हादसा (2019) : मुंबई के छत्रपति शिवाजी महाजार टर्मिनस रेलवे स्टेशन के निकट एक पैदल पुल 14 मार्च 2019 को ढह गया. इस हादसे में छह लोगों की जान चली गई जबकि 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए।