आजमगढ़ फरिहा,रोड पर धूप में खड़ा होना मजबूरी है,कोरोना पर भारी पड़ रही है भूख की मार,करोना जैसी घातक महामारी पर भारी पड़ रही है भूख की पीड़ा, कुछ लोगों का कहना है कि बीमारी से पहले तो लगता है भूख से ही मर जाएंगे हम मजदूर है रोज कमाने खाने वाले,इधर लाक डाउन है और हमारे पास पैसा है नहीं यह हालत तो हमारे लिए ऐसी बन गई है कि कोई शब्द नहीं है जिसका हम बयां कर सकें हैं फरिहा काशी गोमती संजुक्त ग्रामीण बैंक 1000 , 2000 हजार बैंक से निकाले के लिए 4 5 घंटे धूप में खड़े हो ना पड़ता है जो लोग रसूखदार है उनके लिए कोई लाईन नहीं लगती है क्या गरीब होना इतना बड़ा अभिशाप है अब समझ में आ रहा है वहीं कुछ लोग बैंक से पैसा निकालते समय शारीरिक दूरी का पालन करना भी भूल जा रहे हैं सासन प्रसासन अगर समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में इसका भयंकर परिणाम सामने होगा, पुलिस भी ड्यूटी करते करते लगता है थक गई है भीड़ से चंद कदम की दूरी पर पुलिस बूथ है जहां पुलिस रहती है पर भीड़ पर ध्यान नहीं जाता है