अन्तर्राज्यीय नकली नोट बनाने व बाजार मे सप्लाई करने वाले गिरोह का हुआ भंडाफोड़

0
22

गाजीपुर। जनपदा के खानपुर थाना पुलिस व स्वाट सर्विलांस टीम को बड़ी सफलता मिली है। पुलिस टीम ने नकली नोट बनाने व नोटों को बाजार में सप्लाई करने वाले अन्तर्राज्यीय (बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड आदि) गिरोह का भंडाफोड़ किया। पुलिस ने तीन अभियुक्तों को बिहारीगंज डगरा करमपुर मोड़ व शिवदास पोखरा मोड़ से गिरफ्तार किया और उनके कब्जे से 500 की 30, 200 की 276 व 100 के कुल 290 नकली नोट बरामद किया। इसके साथ ही नकली नोट बनाने में इस्तेमाल किये जाने वाले 15 पीस पेपर, नोटों की फीडिंग का 34 पीस पेपर तथा नकली नोट बनाने की प्रिंटर मशीन व एक ही व्यक्ति की फोटो लगी अलग-अलग नाम पते से बने 04 कूटरचित आधार कार्ड, 02 अदद मोटरसाईकिल बरामद किया। अभियुक्त विजय भारती के ऊपर अलग-अलग राज्यों में लगभग 30 मुकदमें पंजीकृत है। वह पूर्व में कई बार जेल जा चुका है तथा पिछले लगभग 04 वर्षों से फरार चलने के कारण कई मुकदमों में वांछित है। जिससे बचने के लिए वह अलग-अलग नाम पता का आधार कार्ड का इस्तेमाल कर अपनी पहचान छुपाकर लगातार इस तरह की घटनाओं को अंजाम देता रहा है। गिरफ्तार अभियुक्‍तों में विजय भारती पुत्र स्व. फूलचन्द भारती, ग्राम सिधौना थाना खानपुर, विशेन यादव पुत्र स्व. धर्मराज यादव, ग्राम रायपुर बाघपुर थाना मरदह, अमित यादव उर्फ मोनू पुत्र राजेन्द्र यादव, निवासी ग्राम करदहा कैथोली थाना मरदह शामिल हैं। पूछताछ में अभियुक्त विजय भारती ने बताया कि, मेरा जनपद आजमगढ़ के मेहनाजपुर में डालिम्स सनबीम मेहनाजपुर नामक स्कूल है। उसी स्कूल के एक कमरे में मेरे द्वारा प्रिन्टर मशीन के जरिए नकली नोट तैयार किया जाता है। जिसको तैयार करने के पश्चात मैं विशेन यादव और अमित यादव के माध्यम से अगल – बगल के जिलों तथा राज्यों (बिहार, झारखण्ड, राजस्थान व दिल्ली आदि) में सप्लाई कर अपने तथा अपने साथियों के लिए आर्थिक एवं भौतिक लाभ प्राप्त करता हूं। इसी से हम लोग अपने परिवार का भरण-पोषण व शौक पूरे करते हैं। अब तक हम लोगों द्वारा लगभग करोडों रूपयों के नकली नोट बाजार में खपाया जा चुका है। इसके अतिरिक्त अभियुक्त विजय भारती द्वारा बताया गया कि, पहले भी मेरे विरुद्ध विभिन्न राज्यों व जिलों में इस तरह के कई मुकदमें लिखे जा चुके हैं, जिसमें मैं पहले भी जेल जा चुका हूं, जिस कारण लगातार पुलिस मेरी तलाश में रहती है। पुलिस से बचने के लिए मैं अलग-अलग नामों के पहचान पत्र(आधार कार्ड) का प्रयोग करता हूं।

जय प्रकाश चन्द्रा, ब्यूरो चीफ, गाजीपुर

In

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

twelve − seven =