भगत सिंह जन पुस्तकालय पर विचार गोष्ठी का आयोजन हुआ

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सहादतपुरा (मऊ), जनपद में शहीद सुखदेव के शहादत दिवस की पूर्व संध्या पर सहादतपुरा स्थित भगतसिंह जन पुस्तकालय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में “शहीद सुखदेव की विरासत और हमारा समय” विषय पर बातचीत की गयी। गोष्ठी में बात रखते हुए नौजवान भारत सभा के अमित ने कहा कि 15 मई 1907 को लुधियाना में पैदा होने वाले सुखदेव को अंग्रेजों ने भगतसिंह और राजगुरु के साथ 23 मार्च 1931 को फांसी दी थी। सुखदेव न केवल एक बहादुर क्रांतिकारी थे बल्कि एक अच्छे विचारक भी थे। समाजवाद से लेकर भविष्य के समाज की रूपरेखा को लेकर वो नियमित अध्ययन और बहस करते रहते थे। सुखदेव एच.एस.आर.ए. (हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन) के पहली पीढ़ी के नेता थे। सुखदेव पार्टी के प्रति सदैव समर्पित रहे और उसूलों के लिए जान की बाजी लगाने में भी नहीं हिचकिचायें। फांसी के पहले भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु ने यह घोषणा की थी कि “युद्ध छिड़ा हुआ है यह लड़ाई तब तक चलती रहेगी जब तक कि शक्तिशाली व्यक्तियों ने भारतीय जनता और श्रमिकों की आय के साधनों पर अपना एकाधिकार कर रखा है। चाहे ऐसे व्यक्ति अंग्रेज पुंजीपती या भारतीय ही हो, इस स्थिति में कोई अन्तर नहीं पड़ता।”आज उनकी शहादत के नौ दशक बाद भी आम जनता मंहगाई, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार, महंगी शिक्षा -चिकित्सा के पाटे में पिस रही है। ऐसे दौर में शहीद सुखदेव की विरासत हमें आज के सवालों पर एकजुट होकर लड़ने के लिए प्रेरित करती है। कार्यक्रम का संचालन अनिरुद्ध ने किया। कार्यक्रम के दौरान क्रांतिकारी गीत भी प्रस्तुत किये गये। विचार गोष्ठी में रामशरण, प्रद्युम्न, राजकुमार, रमेश, सरिता, कन्हैया, शिखर, विनोद, रीता, शिखर आदि लोग मौजूद रहे।

गौतम कुमार कासिमाबाद तहसील संवाददाता
के मास न्यूज

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